बीते गुरुवार को शिवसेना ने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का सामना करने के मकसद से सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ लाने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राकपा अध्यक्ष शरद पवार के साथ मिलकर काम करना चाहिए.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा करने वाली शिवसेना ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाव-भाव पहले से बदल गए हैं. उन्होंने कहा कि,’उन्हें पता है कि देश में स्थिति उनके हाथों से निकल गई है. लोगों के आक्रोश के बावजूद भाजपा और सरकार को अब विश्वास है कि उनके सामने कोई खतरा नहीं है. क्योंकि विपक्ष कमजोर एवं अलग-थलग है.’ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ तीसरे मोर्चे की संभावनाओं की अटकलों के बीच शरद पवार ने तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल और लेफ्ट समेत आठ विपक्षी पार्टियों के साथ दिल्ली स्थित अपने आवास पर मंगलवार को एक भव्य बैठक की थी.
हालांकि इस बैठक में हिस्सा लेने वाले नेताओं ने कहा कि राष्ट्रीय मंच द्वारा एक जैसा सोचने वाले व्यक्तियों की गैर राजनीतिक बैठक थी यह. राष्ट्रीय मंच को पूर्व वित्त मंत्री एवं टीएमसी (TMC) उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा (Yaswant Sinha) ने अन्य लोगों के साथ मिलकर बनाया है. वहीं दूसरी ओर बृहस्पतिवार को प्रकाशित शिवसेना के संपादकीय में कहा गया कि राहुल गांधी को सभी विपक्षी पार्टियों को साथ लाने के लिए पवार के साथ हाथ मिलाना चाहिए. आगे इसमें राय दी गई थी विपक्षी नेताओं की चाय पार्टी का आयोजन गांधी को करना चाहिए था. शिवसेना ने कहा कि शरद पवार सभी विपक्षी पार्टियों को साथ ला सकते हैं. लेकिन फिर वही सवाल नेतृत्व का उठता है.
उन्होंने कहा कि अगर हम कांग्रेस से अगुवाई की उम्मीद करते हैं तो पार्टी खुद बिना किसी राष्ट्रीय अध्यक्ष के ही चल रही है. फिर उन्होंने कहा कि नाम का संगठन तो है लेकिन क्या देश के पास मजबूत एवं संगठित है? यह सवाल अब भी लंबित है.