भारत की संस्कृति अति प्राचीन रही है शुरुआत से ही यहां पर देवी देवता और मंदिर एक अलग पहचान बना हुआ है. और शायद यही मंदिर हिंदुओं में आज भी सनातन को जीवित रखने का एक प्रमुख कारण भी है. भारत देश के लगभग सभी मंदिरों की अपनी कुछ अलग-अलग मान्यताएं है. ऐसी ही एक मंदिर जम्मू-कश्मीर में स्थित है. जहां स्थापित हैं दुर्गा मां की प्रतिमा खीर भवानी. इस मंदिर का रहस्य इसे सबसे अलग बनाता है इस मंदिर का रहस्य है कि मंदिर में स्थित कुंड के जल के रंग बदलते रहते हैं इस कुंड का जल आज भी कश्मीर में आने वाली विपत्ति की सूचना देता है. तो आइए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में कि कैसे यह लंका से यहां पहुंच गई…
पौराणिक मान्यता
लंका नरेश सावन माता खीर भवानी के परम भक्त थे. उन्होंने अपनी तपस्या और साधना से माता को प्रसन्न किया था. हालांकि जब रावण अपने अहंकार वह बुरे कामों में लिप्त हो गया था तब उससे माता नाराज रहने लगी. लेकिन माता रावण से पूरी तरह रूस हो गई जब उन्होंने माता सीता का अपहरण कर लिया.
उसी दौरान माता सीता की तलाश में जब हनुमान जी लंका पहुँचे तब माता खीर भवानी ने हनुमान जी से कहा कि वो उन्हें किसी दूसरी जगह ले चलें. माता के आदेश का पालन करते हुए हनुमान जी माता की प्रतिमा को लंका से ले आए और उन्हें जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से 14 किमी दूर तुलमुल गाँव में स्थापित कर दिया.
गांदरबल जिले में स्थित इस खीर भवानी माता मंदिर में माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है. स्थानीय निवासी माता को राग्या देवी के नाम से भी जानते हैं. माता को खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है. कहा जाता है कि उन्हें खीर अत्यधिक प्रिय है. इसी कारण मंदिर में माँ दुर्गा को खीर भवानी के नाम से जाना जाता है. माता को खीर अर्पित करने के बाद उसे श्रद्धालुओं में वितरित किया जाता है.
इस खीर भवानी मंदिर में हर साल एक मेला लगता है. जम्मू-कश्मीर समेत सभी हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए यह मेला अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय है इसे खीर भवानी मेला कहा जाता है. इस दौरान मंदिर में तरह-तरह के अनुष्ठान कराए जाते हैं. यहाँ आने वाले श्रद्धालु माँ दुर्गा के मंत्रोच्चार के बीच माता खीर भवानी के दर्शन करते हैं. हालाँकि पिछली वर्ष की भाँति इस वर्ष भी मंदिर में मेले का आयोजन नहीं हो सका. कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस बार भी मंदिर में कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही श्रद्धालु दर्शन कर सके.
खीर भवानी माता का मंदिर अपने रहस्यमयी कुंड के लिए भी प्रसिद्ध है. ऐसा कहा जाता है कि जब भी जम्मू-कश्मीर पर कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तब कुंड का जल अपना रंग बदल देता है. किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कुंड का जल काला हो जाता है. इससे यह संकेत मिलता है, कि जम्मू-कश्मीर में कोई विपत्ति आने वाली है.
2014 की बाढ़ और कारगिल युद्ध के दौरान कुंड के जल का रंग क्रमशः काला और लाल हो गया था. हालाँकि यह कुंड घाटी की उन्नति का संकेत भी देता है. कहा जाता है कि जब अनुच्छेद-370 हटाया गया था तब कुंड का जल हरे रंग का हो गया था. जल का यह हरा रंग कश्मीर की उन्नति और खुशहाली का प्रतीक माना गया.