S-400 की डील रुकवाने के लिए अमेरिकी नौसेना ने भारतीय जमीन पर किया कब्ज़ा

इस महीने विदेश निति को लेकर भारत में 4 बड़ी घटनाएं हुई है. अफ़सोस इस बात का है की इस बारे में कोई भी मीडिया हाउस या न्यूज़ चैनल बात नहीं कर रहा. खैर हम आपको बताते है की इस महीने ऐसी कौनसी 4 घटनाये हुई है जो भारत के सुनहरे भविष्य के लिए बहुत जरूरी थी.

सबसे पहला भारत को मनाने के लिए रूस के विदेश मंत्री का भारत दौरा करना. दूसरी बड़ी घटना यह हुई की भारत और चीन के सेना कमांडरों के बीच पूर्वी लद्दाख में मजूद चीनी सैनिकों को पीछे हटने के लिए 11वें दौर की बात चीत शुरू हो गयी हैं. तीसरी सबसे बड़ी खबर अमेरिकी कांग्रेस की भारत के प्रति बनी रिसर्च सर्विस रिपोर्ट का खुलासा होना. चौथी सबसे बड़ी खबर यह है की अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े ने लक्षद्वीप के कुछ हिस्से पर सीधा कब्ज़ा कर लिया है.

लक्षद्वीप के पास भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र यानी ‘एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन’ में जब अमेरिका का सातवां नौसेना का बेडा घुसा तो उन्होंने इसके बारे में न तो पहले भारत को कोई सुचना प्रदान की और न ही किसी प्रकार का कोई समझौता हुआ था. अमेरिकी नौसेना ने सीधे तौर पर ब्यान देते हुए कहा की अमेरिका के पास अधिकार है की वह किसी भी समय जब चाहे इस क्षेत्र पर कब्ज़ा कर सकता है.

यह पूरा मामला भारत द्वारा रूस से S-400 खरीदने की प्रक्रिया पर अमेरिका द्वारा विरोध करने से जुड़ा है. अमेरिका को पता है की भारत के पास दुनिआ की सबसे बेहतरीन मिसाइल है और अगर उसने S-400 जैसे हथियार भी खरीद लिए तो दुनिया की कोई भी वायुसेना भारतीय वायुसेना के सामने फेल हो जाएगी.

भारत को पता है की अगर भविष्य में युद्ध हुआ तो भारत को चीन और पाकिस्तान दोनों से एक साथ युद्ध करना पड़ सकता है. ऐसे में सुरक्षा के इंतजाम जितने ज्यादा हो उतने अच्छे हैं, हालाँकि भारत के CDS ने तो यहाँ तक कहा है की भारत को 2.5 मोर्चे पर युद्ध लड़ना पड़ेगा एक पाकिस्तान, एक चीन और एक भारत के अंदर छुपे गद्दारों से.

यही कारण है की जब रूस के विदेश मंत्री भारत रक्षा सौदों और उसे मनाने के लिए भारत आते हैं तो अमेरिका अचानक भारत के एक हिस्से पर अपनी नौसेना को भेज देता हैं. अमेरिका सीधे तौर पर भारत का विरोध नहीं कर सकता और न ही वह इस रक्षा सौदे को रोक सकता है क्योंकि भारत पहले ही कह चूका है भारत को अपनी रक्षा के लिए क्या सामान चाहिए वो भारत तय करेगा अमेरिका नहीं. शायद यही कारण है की वह भारत को इस तरह से उकसाना चाहता है.

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