दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को 100 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है पिछले साल नवंबर से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं! ऐसे में नवंबर से मार्च का महीना आ गया है लेकिन कानूनों को लेकर गतिरोध अभी तक बना हुआ है! हालांकि फिलहाल यह मामला खत्म होता हुआ नजर नहीं आ रहा है क्योंकि सरकार किसानों के बीच बातचीत भी नहीं हो रही है!
इस बीच किसान नेता रेलिया और महा पंचायतों के जरिए आंदोलन के समर्थन में जुटे हुए! सरकार का ध्यान भी अब आने वाले पांच राज्यों में चुनाव की ओर मुड़ गया है इतना समय बीत जाने के बाद भी किसानों की मांग अभी वही है जो नवंबर के महीने में थी कि सरकार इन कानूनों को वापस ले!
इस मामले पर अब किसान नेता राकेश टिकैत से बातचीत करते हुए जब पत्रकार ने पूछा कि गर्मियां आने वाली है और आपने यह कच्चे मकान बनाने शुरू कर दिए? तो इस सवाल के जवाब में किसान नेता का कहना है कि बदलते मौसम को देखते हुए हमने यह तैयारियां की है किसान अब इन कच्चे मकानों में रहेंगे और खुद को गर्मी से बचाएंगे!
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने आगे कहा कि इस कच्चे मकान में मिट्टी की दीवारें बनाएंगे जिससे की ठंडक रहे! पत्रकार ने पूछा कि क्या आप गांव बताने आए हैं तो टिकट ने इसके जवाब में हामी भर दी है! राकेश टिकैत ने पत्रकार के सवाल के जवाब में कहा है कि सरकार ने हमसे बातचीत सर्दियों में करनी बंद कर दी थी अगली सर्दियों में सरकार किसानों से फिर बातचीत करेगी और तब तक हम लोग यही रहेंगे!