भारत के विपक्ष की एक खासियत यह है की मोदी सरकार किसी भी बिल को लेकर आये या फिर उसकी चर्चा शुरू करे विपक्ष मिलकर उस बिल के विरोध में खड़ा हो जाता हैं. फिर चाहे मुद्दा कोई भी हो, राजनीती के लायक हो चाहे न हो, महिलाओं के अधिकार में हो या फिर समाज के सुधार के लिए लेकिन विरोध दर्ज़ कराना ही विपक्ष का एक मात्र उद्देश्य नज़र आता हैं.
मोदी सरकार शादी की उम्र में बदलाव करने को लेकर विचार कर रही हैं, जी हाँ सिर्फ अभी विचार हो रहा हैं. अभी किसी तरह का कोई ड्राफ्ट या फिर बिल पेश नहीं किया गया. लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया पर ख़बरें हैं की सरकार शादी के लिए लड़की की उम्र 18 से बढाकर 21 करने के रास्ते पर है और लड़के की उम्र 21 से बढाकर 24 या 25 की सकती हैं.
कांग्रेस नेता सज्जन सिंह अब इसमें भी अपनी राजनीती नज़र आने लगी हैं और उन्होंने बयान देते हुए कहा की, “लड़की जब 15 साल की उम्र में बच्चा पैदा करने में सक्षम हो जाती है तो फिर शादी की उम्र 21 साल की करने की क्या आवश्यकता है? विवाह की उम्र जब 18 साल तय है, तो उसे 18 ही रहने दिया जाए.”
कांग्रेस नेता सज्जन सिंह अगर इस चीज के लिए किसी और चीज़ का तर्क देते तो बात समझ में भी आती लेकिन बच्चे पैदा करने का तर्क? मतलब क्या है इसका? क्या कांग्रेस नेता सज्जन सिंह का कहना है की औरतों का समाज में काम केवल बच्चे पैदा करना हैं? अगर कानूनी रूप सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल कर देते हैं तो परिवार पढाई ख़त्म होते ही यानी 18 साल की उम्र में शादी नहीं करवाएगा.
ऐसे में वह लड़की अपनी आगे की पढाई या फिर नौकरी या फिर आपने सपनो को पूरा करते हुए समाज में मर्दों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल सकेगी. तो क्या कांग्रेस नेता सज्जन सिंह चाहते है की लड़किया 18 साल की उम्र में शादी करके बस बच्चे पैदा करे? नहीं वैसे आपको बता दें उन्होंने बच्चे पैदा करने की उम्र 15 साल बताई हैं फिलहाल कांग्रेस पार्टी ने इस मामले में अपना रुख साफ़ नहीं किया लेकिन जैसे की हालात हैं वह इस बिल का भी विरोध ही करते नज़र आएंगे.