देश में कुल 500 से ज्यादा किसान संघठन हैं, बिल के समर्थन में ज्यादातर किसान संगठनों का कहना है की अगर बिल रद्द हुआ तो हम आंदोलन शुरू कर देंगे. बिल के देश भर से केवल 40 के आस पास ही किसान संघठन के विरोध में हैं जो बिल को पूरी तरह से रद्द करवाना चाहते हैं. इन 40 किसान संगठनों में से भी ज्यादातर किसान संघठन पंजाब से हैं.
जी हाँ वही पंजाब जहाँ के किसान देश के सबसे समृद्ध किसान हैं, जहाँ के किसान अपनी फसलों में इतना प्रेस्टीज़ इस्तेमाल करते है की इन्हें गेंहू पर महाराष्ट्र का मार्का लगाकर बेचना पढता हैं. अमीर खान ने एक सत्यमेव जयते में पंजाब के किसानों और कैंसर ट्रेन का लिंक बताया था की कैसे पंजाब के खेतों में उगी हुई फसल भारत में कैंसर के मरीज़ों को बढ़ा रही हैं.
इन सबके बावजूद किसानों की मांग है की पंजाब में किसानों के बिजली के बिल माफ़ रहें जैसे पहले रहती थी, किसानों का लोन माफ़ होता रहे जैसे पहले होता था, इसके इलावा जो सब्सिडी पहले मिल रही रही खाद और अन्य सामानों पर वह भी मिलती रहे. MSP को लेकर भी सरकार से लिखित आश्वासन चाहिए था सरकार ने दे दिया.
अब यह फिर उसी बात पर आ चुके हैं की नहीं हमें तो यह बिल रद्द चाहिए. सरकार ने साफ़ कर दिया है बिल रद्द करने के इलावा किसानों से जुड़े हुए जो भी मुद्दे हैं वह उनपर बात करने और संशोधन करने को तैयार हैं. दरअसल सरकार को पता है की अगर वह बिल रद्द कर देती है तो जो इस बिल के समर्थन में वह सड़कों पर उतर आएंगे और जो राजनेता इस बिल के विरोध में वह इस बिल के फायदे बताने लगेंगे.
इसीलिए सरकार ने किसान संगठनों को 15 जनवरी को बातचीत के लिए बुलाया है और कहा है की अगर आपकी मांग यही रहने वाली की बिल रद्द हो तो आप सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्ता के लिए एक टीम के गठन करने का सुझाव दिया था लेकिन किसान संगठनों ने सरकार के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट को भी धमकी भरे अंदाज़ में कहा है की बिल रद्द नहीं होने की सूरत में हम 2024 तक आंदोलन जारी रखने को तैयार हैं और फिर अगली सरकार के समक्ष ही इस बिल पर बात होगी.