कृषि मंत्री की दो टूक कानून रद्द नहीं होंगे, जिद्द है तो सुप्रीम कोर्ट चले जाओ

सरकार और किसानों के बीच 7 राउंड की बातचीत हो चुकी हैं, लेकिन यह बातचीत बेनतीजा रही हैं. ऐसे में आठवें राउंड की बातचीत 8 जनवरी को होने जा रही हैं और सरकार ने सपष्ट रूप से साफ़ कर दिया है की बिल वापिस नहीं होंगे. बिल से सम्बंधित या उससे अलग कोई मुद्दा है तो हम उसके लिए चर्चा के लिए तैयार हैं.

उधर राकेश टिकैत का कहना है की अगर किसान बिल वापिस नहीं हुए तो हम इतने समृद्ध हैं की इस आंदोलन को 2024 मई यानी अगले लोकसभा चुनाव तक चला सके. उधर किसान मजदूर संघर्ष समिति के सरवन सिंह पंधेर ने पंजाब के युवाओं को लम्बे संघर्ष के लिए तैयार रहने को कहा हैं और 26 जनवरी को दिल्ली में संसद घेरने के लिए ट्रेक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया हैं.

उधर सरकार द्वारा लाये गए इन तीनों बिलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी हैं और CJI का कहना है की हम केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानून के खिलाफ सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ 11 जनवरी 2021 से शुरू करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में किसानों की तरफ से वकील एमएल शर्मा केस हैंडल करेंगे और सरकार की तरफ से अभी किसी वकील के नाम का ऐलान नहीं किया गया.

वकील एमएल शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है की, यह बिल किसान के हितो का हनन करेगा और कॉर्पोरेट घरानों को इसका लाभ उठाने का मौका मिलेगा. उधर सरकार का कहना है की ताली एक हाथ से नहीं बज सकती, हम आपकी सभी जायज़ मांगे मानने को तैयार है और आप अब कानून वापिस लेने की बात पर अड़ गए हैं.

BJP नेता इस आंदोलन को शाहीन बाग़ पार्ट-2 बता रहें हैं, उसका एक कारण यह भी है की सिंघु बॉर्डर पर बजुर्ग महिलाओं को ट्रैक्टर चलाना सिखाया जा रहा हैं. ऐसे में हो सकता है की 26 जनवरी को महिलाओं को आगे रख कर दिल्ली में घुसने की कोशिश की जाए. जिससे अगर सरकार इन आंदोलनकारियों को रोकने के लिए कार्यवाही करती है तो यह महिलाओं वो भी सिख महिलाओं पर हमला माना जाएगा और पुरे विश्व में इसकी आलोचना करवाई जाएगी क्योंकि 26 जनवरी के दिन विदेशी मेहमान और मीडिया दोनों ही दिल्ली में मजूद होंगे.

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