वैसे तो 2014 के बाद से देखा होगा की जिस राज्य में बीजेपी चुनाव में उतरने का फैसला करती है, उसी राज्य में छोटे से बड़े दल बिना मुख्यमंत्री पद की परवाह किये एक साथ मिलकर चुनाव लड़ना शुरू कर देते हैं. इन गठबंधन को महागठबंधन का नाम भी दिया जाता हैं, कई बार कांग्रेस कामयाब रही बहुत बार हार का भी सामना करना पड़ा.
कुछ मौके ऐसे हुए की कांग्रेस पार्टी के खराब प्रदर्शन के चलते महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा. तो कुछ मौके ऐसे आये जहां कांग्रेस नेताओं ने छोटी पार्टी का मुख्यमंत्री तो बना दिया लेकिन उसका जीना इतना मुहाल कर दिया की राज्य में सरकार गिर गयी.
ऐसे में अब तमिलनाडु में रजनीकांत और अन्य स्थानीय पार्टियों को साथ लेकर बीजेपी चुनाव में उतरने का प्लान बना रही हैं. इस चुनाव में कह लीजिये की बीजेपी अपना एक महागठबंधन तैयार करने जा रही है जिसके निशाने पर DMK और कांग्रेस होगी. इसी के साथ बीजेपी साउथ इंडिया की राजनीति में अपना वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश करेगी.
DMK की मुसीबतें रजनीकांत ही नहीं बल्कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के बेटे एमके अलागिरी भी बढ़ा रहें हैं. तमिलनाडु की राजनीति एक स्टार राजनेता के इर्द गिर्द घूमी हैं. अब करूणानिधि और जयललिता की मृत्यु के बाद तमिलनाडु की राजनीति दूसरे लोगों के लिए खुले मैदान की तरह हैं.
यही कारण है की कमल हासन, रजनीकांत और करुणानिधि के बेटे एमके अलागिरी भी इस खुली राजनीति में अपनी राजनीति को चमकाना चाहते हैं. यही कारण हैं की DMK से निकाले जा चुके एमके अलागिरी ने नयी पार्टी बनाने के ऐलान के साथ ही बयान दिया था की, “अगर मेरे समर्थक चाहते हैं कि मैं नई पार्टी लॉन्च करूं, तो मैं ऐसा करूंगा, लेकिन डीएमके का समर्थन नहीं करूंगा. एक बार रजनीकांत हैदराबाद से वापस लौटेंगे, तो मैं उनसे मुलाकात करूंगा.”
रजनीकांत, एआईडीएमके, बीजेपी और अन्य छोटे दलों के साथ होने वाला यह महागठबंधन यूपीए के गठबंधन को बुरी तरह से हिलाने वाला हैं. कांग्रेस के राजनेता रजनीकांत को वोटकटुआ बता रहें हैं और बीजेपी उनका राजनीति में स्वागत कर रही हैं. कमल हासन मोदी विरोधी रहें हैं ऐसे में हो सकता हैं की वह DMK और कांग्रेस के गठबंधन के साथ जायें.