सुप्रीम कोर्ट ने Kangana Ranout के सोशल मीडिया पोस्ट पर सेंसरशिप की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से कर दिया इनकार 

आपको बता दिया जाए कि सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेत्री कंगना रनौत के सोशल मीडिया पोस्ट को सेंसर करने से साफ साफ इनकार करते नज़र आए हैं। बता दे कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में अभिनेत्री कंगना रनौत के विवा दास्पद सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए भविष्य में अभिनेत्री की सभी पोस्ट को सेंसर करने का निर्देश देने की मांग की थी। शुक्रवार को इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस तरह का कोई आदेश देने से साफ साफ मना कर दिया है।

कोर्ट ने कहा- पुलिस मामले को देख रही

आपको जानकारी दे दिया जाए कि सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता चरणजीत सिंह चंद्रपाल ने ये याचिका दर्ज की थी। उन्होंने अदालत से यह कहकर बयान दिया है कि अभिनेत्री कंगना रनौत सिखों की नि र्दोष ह त्या को सही ठहरा गया है, ऐसे में भविष्य में उनकी पोस्ट पर सेंसर की जरूरत भी पड़ सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि अभिनेत्री कंगना रनौत के सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर पहले से ही पुलिस में यह मामला दर्ज हो चुका है। इस मामले में अभिनेत्री ने कृषि कानूनों को विरोध कर रहे सिख किसानों को खालिस्तानी आ तंकी बताया था।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई करते हुए यह बयान जारी किया था कि याचिकाकर्ता खुद शिकायत दर्ज करवाई है और दूसरे उपलब्ध कानूनी उपायों के इस्तेमाल के लिए भी वो स्वतंत्र हो चुके हैं।

केस ट्रांसफर की बात भी कोर्ट ने किया इंकार

आपको जानकारी दे दिया जाए कि इस याचिका में अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ देश में दर्ज सभी लंबित एफआईआर को मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर करने की मांग की थी जो ख़ारिज कर दी गई है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह बयान जारी किया है कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ देश के अलग- अलग 15-20 थानों में केस दर्ज हैं तो आप कैसे एक थाने में जांच करने की मांग कर सकते हैं? अगर कोई आरोपी इस मामले में अदालत आता तो इस पर बातचीत की जा सकती हैं।

कंगना के बयान लगातार बनते हैं वि वाद की वजह

आपको बता दिया जाए कि फिल्म अभिनेत्री कंगना के बयान बीते 2-3 सालों में लगातार वि वादों से घिरे हुए ही नज़र आ रहे है। बीते साल जब देश के लाखों किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में धर ना प्रद र्शन करते नज़र आ रहे थे तो वो सरकार के समर्थन में उतरती हुई दिखाई दी थी।

किसानों और सिखों को लेकर कुछ ऐसी टिप्पणी भी की गयी थी कि जिनसे वि वाद हो गया था। महात्मा गांधी को लेकर उनकी टिप्पणी से भी बीते साल वि वाद होता दिखाई दे रहा है।

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