क्या यह अहिंसा है: “क्या यह अहिंसा है”
क्या यह अहिंसा है-
सेलुलर जेल की अट्टालिकाएं
गूँज रही हैं चीखों से
जलियांवाला बाग़ साक्षी
ज़ुल्मों का अंग्रेजों के
कैसे मान लूँ मैं देशवासियों
अहिंसा का कोई पुजारी था
चरखा कात क्या साबित किया
आज़ादी नमक-चरखे से आई थी
भगतसिंह-आज़ाद-राजगुरु का
बहा जो, क्या खून नहीं वो पानी था
झांसी का जब मोल लगा, मोह को छोड़
मनु बनी रणचंडी, दिया जवाब मुँहतोड़
अंग्रेजों का हुकुम बजाया, ओ महात्मा
फैसले की घड़ी, बापू मुँह क्यों सी लिया
देश के हिन्दू-मुस्लिम लड़ो मरो
कश्मीर मुद्दे पर भट्टी में क्यों झोंक दिया
उनके तो तुम गुलाम ही अच्छे थे, चाचा
लाल-बाल-पाल का बलिदान
क्यों तुमको व्यर्थ लगा, कहो न बापू
एक दिन का विजय पर्व नहीं आज़ादी
हर दिन, हर पल, हर घड़ी
भारत माँ के वीर सपूतों को
मैं ‘नीलपरी’ समर्पित करती हूँ
‘जय जवान जय किसान’
नारे की सार्थकता को
नतमस्तक हो, शास्त्री जी को
श्रद्धासुमन अर्पित करती हूँ
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा
माँ की हिफाज़त का देशवासियों
आज वक़्त है फिर से आन पड़ा
उठो जवानों कमर कस आगे बढ़ें
कुर्बानी मांगे माँ भारती, लिपट तिरंगे में
जय हिन्द….!
© नीलू ‘नीलपरी’
माटी के लाल भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर शत शत नमन ।।
#जयजवान #जयकिसान
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