Railway Ticket Booking Mystery: दूर-दराज के स्थानों पर जाने के लिए देश (Country) का आम आदमी ट्रेन (Train) से जाने का ही विकल्प चुनता है। ट्रेन (Train) में सफर करना तो काफी आसान है लेकिन इसकी टिकट (Ticket) लेना उतना ही मुश्किल।
Railway Ticket Booking Mystery-
पहले समय में तो लोगों को दिन-रात भर लाइनों में खड़े होकर टिकट (Rail Ticket) लेना पड़ता था। लेकिन आज ऑनलाइन (Online) का जमाना है। घर बैठे आप टिकट बुक (Ticket Book) करवा सकते हैं। लेकिन ये भी जितना आसान नज़र आता है। असल में उतना आसान है नहीं।
आसान नहीं है ट्रेन की कन्फर्म टिकट (Confirm Ticket) लेना
खासतौर पर गर्मी की छुटिट्यों (Holidays) और त्योहारों के समय कन्फर्म टिकट (Confirm Ticket) पाना काफी मुश्किल काम होता है। दो-तीन महीने पहले टिकट बुक (Ticket Book) करवाने वाले यात्रियों को भी वेटिंग (Waiting) में सफर करना पड़ रहा है। क्या आपने कभी नोटिस (Notice) किया है की ट्रेन में आपको कभी अपनी मनपसंद सीट (Seat) मिली हो।
हर यात्री चाहता है विंडो सीट (Window Seat) लेना
बस (Bus) हो या ट्रेन (Train) अधिकतर लोग यही चाहते हैं कि उन्हें विंडो सीट (Window Seat) ही मिले, ताकि खिड़की से बाहर झांकते हुए वो सफर का पूरा आनंद ले सकें।
लेकिन ट्रेन (Train) के मामले में सीट आपकी चॉइस (Choice) पर निर्भर नहीं करता। दरअसल इसके पीछे की वजह ये है की ट्रेन बुकिंग (Train Booking) के समय अपनी पसंद की सीट लेने का विकल्प नहीं होता है।
रेलवे में नहीं मिलती मनपसंद सीट (Train Seat)
रेलवे में सीट बुकिंग (Seat Booking) के दौरान कई चीज़ें जाँची जाती है। आपको यह जानकर हैरान होगी की रेलवे (Railway) का टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर (Booking Software) इस तरह बनाया गया है कि वह सभी कोच में एक समान लोगों की ही बुकिंग करता है।
जानकारी के आपको बताते हैं की ट्रेन के हर कोच (Train Coach) में 72 सीटें होती हैं और रेलवे का सॉफ्टवेयर (Software Railway) सबसे पहले किसी भी यात्री को लोअर सीट अलॉट करता है और बैलेंस बनाने के लिए उसके बाद Upper Seat, Middle सीट का अलॉटमेंट बाद में होता है।
सीटों का बैलेंस (Balance) करना होता है जरूरी
इसलिए जब भी कोई यात्री IRCTC के वेबसाइट के ज़रिए ट्रेन की बुकिंग (Booking)करता हैं तो रेलवे का सॉफ्टवेयर (Railway Software) पहले ये चेक करता है कि सभी कोच में एक समान संख्या में पैसेंजर्स (Passengers) हैं या नहीं और मिडल से होते हुए गेट के पास वाली सीट तक अलॉट की गई है या नहीं।
इस तरह सीट की अलॉटमेंट (Allotment) के पीछे का मकसद है की ट्रेन के सभी कोचों में सीटों का बैलेंस बना रहे। बाकी ट्रेन में कुछ ख़ास कोटा (Reservation) भी मौजूद होते हैं, जिसका इस्तेमाल खासतौर पर करने पर सीटों का आंवटन देखकर ही किया जाता है।
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