Sensational Truth: 2 लाख मुस्लिम बच्चे रातो रात गायब, जिसे देख मोदी भी रह गए हैरान, फिर सामने आयी रोंगटे खड़े कर देने वाली सच्चाई ! अभी हाल ही में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (Vice-President Hamid Ansari) ने कहा था कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है! अभी-अभी आ रही एक बेहद सनसनीखेज खबर से साबित हो गया है कि आखिर Vice-President Hamid Ansari जैसे लोगों में असुरक्षा की भावना क्यों पनप रही है. खबर है कि uttrekhand में मदरसों में पढ़ने वाले करीब 2 लाख मुस्लिम बच्चे रातों-रात गायब हो गए हैं. पूरी खबर जान कर आपके पैरों तले भी जमीन खिसक जायेगी.
Sensational Truth-
दरअसल मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को पिछले कई दशकों से हर महीने सरकार की ओर से वजीफा यानी Scholarships दी जा रही थी. लेकिन जैसे ही उत्तराखंड सरकार ने इन बच्चों के बैंक खातों को Aadhar card से लिंक करने को कहा, तो एक साथ 1 लाख 95 हजार 360 बच्चे गायब हो गए. गायब हुए इन छात्रों के नाम पर अभी तक सरकार हर साल करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति (Scholarship) बांट रही थीं. जोकि अब घट कर केवल 2 करोड़ रह गयी है.
जानिये क्या है पूरा माजरा –
दरअसल गायब हुए ये बच्चे कभी थे ही नहीं, बच्चो के झूठे नामों के आधार पर मदरसों द्वारा सरकार से पैसे लिए जा रहे थे. Congress की सरकार तो थी, तो जाहिर है कि लूट का माल नीचे से ऊपर तक बांटा जाता होगा वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि कांग्रेस सरकार को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी और बीजेपी ने आते ही पता लगा लिया.
तो इसलिए असुरक्षित हैं मुसलमान?
ये तो अकेले उत्तराखंड का मामला है, अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जब CM योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में मदरसों को अपना Registration करवाने को कहा तो क्यों इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया. इस बात से साबित हो गया है कि BJP की सरकार आने के बाद से Muslim खुद को क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
2014-15 तक केवल उत्तराखंड में 2 लाख 21 हजार 8 सौ मुस्लिम छात्र सरकारी scholarships पा रहे थे. आधार से लिंक होते ही इनकी संख्या गिरकर केवल 26 हजार 440 रह गई. यानी लगभग 88 % muslim छात्रों की संख्या कम हो गई. ये वो Scholarship है जो BPL यानि बेहद गरीब परिवारों के छात्रों को दी जाती है.
सरकार उल छात्रों के लिए भी प्रावधान लायी, जिनके पास आधार नहीं है. ऐसी छात्रों को भी Scholarship का फायदा मिल रहा है, लेकिन इसके लिए उन्हें जिलाधिकारी से सत्यापन करवाना जरूरी है. लेकिन सत्यापन हो कैसे, जब वो छात्र हैं ही नहीं.
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