हम आज आपको भारतीय खानपान से जुड़ा हुआ एक ऐसा रहस्य बताने वाले हैं जो शायद ही आप लोगों को मालूम होगा दरअसल भारत में खाने-पीने के मामले में कई लोग उस्ताद होते हैं लेकिन उनको भी इस बात का जवाब नहीं मालूम होगा कि आखिरकार गुलाब जामुन को गुलाब जामुन ही क्यों कहा जाता है? और ना ही इसमें ना ही जामुन है और ना ही गुलाब है फिर भी इसका नाम गुलाब जामुन है!
गलत बात है कि यह डिश पर्शिया से आए हैं और पर्शिया में गुलाब जामुन की तरह ही एक मिठाई तैयार की जाती है जिसको लोकमत अल-कादी कहा जाता है यह जानकारी इतिहास वाद माइकल क्रांजल ने दी है! वही गुलाब दो सब से मिलकर बना हुआ है गुल मतलब फूल और आग मतलब के पानी यानी की खुशबू वाला मीठा पानी ऐसे में जब चासनी को तैयार किया जाता है तो उसके अंदर भी खुशबू आते हैं और वह एक मीठा पानी होता है जिसके चलते उसे गुलाब कहा जाता है!
वहीं दूसरी तरफ खोए से लोई तैयार की जाती हैं और ऐसे में उसको गहरा रंग देने के लिए उसको ढूंढा जाता है और इस वजह से उसकी तुलना जामुन से की जाती है! वही लोगों का मानना यह है कि सबसे पहले तो यह मिठाई टर्की में तैयार की गई थी उसके बाद टर्की के लोग इसको भारत लेकर आए थे और मुगल सम्राट शाहजहां के दरबार में इसको तैयार करवाया गया था ऐसे में भारत में इस मिठाई को काफी ज्यादा पसंद भी किया गया है और आज के समय में यह खानपान का एक अहम हिस्सा बन गई है!
वही प्रसिद्ध इतिहास वादी माइकल का कहना है कि यह जो डिस है परसिया से निकल कर आई है और गुलाब जामुन के साथ-साथ लोकमान अल कादी भी एक ऐसी ही मिठाई है जिसको चासनी केंद्र तैयार किया जाता है और दोनों का स्वाद भी एक जैसा है!