हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने की 11 तारीख को एकादशी होती हैं वही एकादशी को भगवान श्री विष्णु को समर्पित एक दिन माना जाता है और 1 महीने में दो पक्ष होने के कारण दो एकादशी आती है एक शुल्क पक्ष की और दूसरी कृष्ण पक्ष की! वही इस प्रकार 1 साल के अंदर कम से कम 24 एकादशी होती है लेकिन अधिक मास के मामले में यह संख्या 26 भी हो सकती हैं!
वही मोक्षदा मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है वही मोक्ष की प्रार्थना के लिए यह एकादशी बनाई जाती हैं मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती एक ही दिन होती है वहीं इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत में अर्जुन को भागवत गीता का उपदेश दिया था माना तो ऐसा जाता है कि इस दिन उपवास रखने और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और पूर्वजों को स्वर्ग तक पहुंचने में मदद मिलती है वही मोक्षदा एकादशी की तुलना मनी चिंतामणि सेबी की जाती है जिसके बारे में यह माना जाता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती है!
आपको बता दें कि इस साल यह एकादशी 14 दिसंबर को मनाई जाएगी और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत के प्रभाव में पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं वही व्रत रखने वालों के सभी पापों का नाश हो जाता है और उनकी मनोकामना की पूर्ति भी होती है!
मोक्षदा एकादशी का मुहूर्त
एकदाशी तिथि प्रारंभ: 13 दिसंबर, रात्रि 9: 32 मिनट से
एकदाशी तिथि समाप्त: 14 दिसंबर रात्रि 11:35 मिनट पर
व्रत का पारण: 15 दिसंबर प्रातः 07: 5 मिनट से प्रातः 09: 09 मिनट तक
मोक्षदा एकादशी व्रत विधि
सर्वप्रथम प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठें। स्नानादि से निवृत्त होकर घर के मंदिर की सफाई करें। इसके उपरांत पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें छिड़कें। इसके उपरांत मंदिर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रआदि अर्पण करने के बाद भगवान को रोली और अक्षत का तिलक लगाएं। भोगसवरूप भगवान को फल और मेवे अर्पित करें। पूजा आरंभ करते समय सबसे पहले भगवान गणपति और फिर माता लक्ष्मी के साथ श्रीहरि की आरती करें। भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अवश्य अर्पित करें।