हेमा मालिनी बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल और प्रसिद्ध अदाकारा होने के साथ ही एक प्रोफेशनल भरत नाट्यम डांसर और कोरियोग्राफर भी हैं। वो बॉलीवुड में 70 के दशक की स्थापित सफल महिला कलाकारों से में से एक हैं।अपने 40 वर्ष के करियर में अब तक उन्होंने एक सौ पचास से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया हैं,और अब भी वो भरत नाट्यम के स्टेज शो के साथ ही राजनीति में भी सक्रिय हैं।
हेमा का जन्म 16 अक्टूबर 1948 को तमिल इयेंगेर परिवार में हुआ था।उनका जन्म अम्मनकुंडी, तिरुचिरापल्ली तमिलनाडू में हुआ था.हेमा ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा आंध्रा महिला सभा, दिल्ली तमिल एजुकेशन एसोसिएशन सीनियर सेकेंडरी स्कूल,नयी दिल्ली से पूरी की।
हेमा मालिनी की खूबसूरती के बारे में क्या कहा जाए। हेमा जी की उम्र 72 साल है और इस उम्र में जहां आम तौर पर लोगों के चेहरे का ग्लो चला जाता है, वहीं हेमा का ग्रेस अभी भी बरकरार है। ड्रीम गर्ल यानि हेमा मालिनी आज 73 साल की हो गई है लेकिन उनकी खूबसूरती आज भी कम नहीं हुई। इस उम्र में भी उन्होंने अपनी फिटनेस व खूबसूरती को मेंटेन रखा है, जो वाकई काबिले तारीफ हैं। जहां एक वक्त के बाद महिलाओं के चेहरे पर एजिंग साइन देखने लगते हैं और उनका एनर्जी लेवल लो जो जाता है वहीं हेमा को देखकर आप ऐसा बिल्कुल नहीं कह सकते हैं कि वह 70 के पार हैं।
हेमा जी ने लगभग 150 फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों में सीता और गीता, प्रेम नगर अमीर गरीब, शोले, महबूबा चरस, ड्रीम गर्ल किनारा, त्रिशूल, मीरा, कुदरत नसीब क्रांति, अंधा कानून रजिया सुल्तान, रिहाई, जमाई राजा, बागबान और 2004 में बनी वीर जारा आदि शामिल हैं।
हेमा मालिनी की राजनीतिक पारी साल 1999 में शुरू हुई, जब उन्होंने पहली बार भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करना शुरू किया। अभी भी वह राजनीति में सक्रिय हैं। वह 2004 में सक्रिय राजनीति में आईं थी। 2004 के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रख दिया था। वर्तमान में हेमा मालिनी मथुरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद है।
उन्हें वर्ष 1973 में “सीता और गीता” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला।इसके अतिरिक्त 1999 में उन्हें फ़िल्मफेयर का ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ भी मिल चुका है।हिन्दी सिनेमा और कला जगत में योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने द्वारा वर्ष 2000 पद्मश्री की प्रतिष्ठित उपाधि से भी सम्मानित किया गया।
हेमा ने निर्देशक के तौर पर भी हाथ आजमाया और नब्बे के दशक में बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान और दिव्या भारती को लेकर उन्होंने “दिल आशना है” नाम की फिल्म बनाई। इसके अलावा उन्होंने भरतनाट्यम पर आधारित नूपुर नाम से एक धारावाहिक का भी निर्देशन किया।नब्बे के दशक में अभिनय से दूर रहने के बाद एक बार फिर वह अमिताभ के साथ बागबान (2003) में रुपहले पर दिखीं। इस फिल्म में अमिताभ के साथ उनकी जोड़ी को काफी सराहा गया. इसके अतिरिक्त वह वीर-जारा (2004), बाबुल (2006) और लागा चुनरी में दाग (2007) जैसी फिल्मों में नजर आई हैं।