हम सब 70 के दशक या उससे भी पहले की एक्टिंग जगत के बादशाह रहे राज कपूर को तो जानते ही हैं, जिन्होंने की फिल्म जगत को जन्म देने का काम किया था. अगर हम उनकी फिल्मों में रुचि की बात करें तो तो उसका कोई जवाब नहीं है. लेकिन आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से बॉलीवुड के सबसे पहले सुपरस्टार बादशाह राज कपूर के बारे में ऐसी ऐसी रोचक जानकारी आपको बताएंगे जिसे जानकर आप भी दंग रह जाएंगे.
आखिर रूस में क्यों हुई बेज्जती
अगर हम बॉलीवुड के सुपरस्टार बादशाह रहे राज कपूर की बात करें तो फिल्म की शूटिंग करने के लिए रूस गए हुए थे. जहा लोग उनके नाम से मर मिटने को तैयार रहते थे. राज कपूर की फिल्मों को भारत ने हाथों-हाथ लिया जाता था. लेकिन वह अपनी फिल्म आवारा के प्रीमियर के लिए मास्को पहुंचे तो वहां कुछ ऐसा हुआ कि राज कपूर एक ही रात के बाद से भारत लौटने की तैयारी करने लगे ,उनके साथी मंडल के प्रमुख सदस्य ख्वाजा अहमद अब्बास, राज कपूर और सनी चौधरी को यह अंदाजा था कि उन्हें यहां पर भी भारत की तरह के दर्शकों द्वारा फिल्म को पूरा सम्मान मिलेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ. फिल्म समारोह शुरू होने में अभी 2 दिन का समय था जिसकी वजह से यह प्रतिनिधिमंडल मॉस्को की गलियों में घूमने निकल गया. सभी को यह अंदाजा था कि सब उनकी तारीफ करेंगे लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. ना कोई भी ड्यूटी और ना उनसे हाथ मिलाकर उनका मान सम्मान करने वाले किसी समूह से उनका सामना उपाय पूरी तरह हताश और निराश होकर राजनीति कहना शुरू कर दिया कि बाहर उनका कोई फायदा नहीं है. राज कपूर ने अपने प्रतिनिधिमंडल को यह तक समझाना शुरू कर दिया था कि यहां रुकने का अब कोई फायदा नहीं है और सभी को अपने देश भारत वापस लौट जाना चाहिए. ख्वाजा साहब जैसे अनुभवी साथियों ने उन्हें यह समझाने की कोशिश की और कहा कम से कम उन्हें 1 दिन तो रुक कर यहां पर देखना ही चाहिए. फिल्म को अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया एवं इसके बाद राज कपूर वहां से जब वापस लौटे उनके पीछे लोगों का हुजूम था और उनका होटल में अंदर जाना मुश्किल हो रहा था. पागल आवारा के गीत संगीत से लोग झूम रहे थे. और यहीं से दौर शुरू हुआ जब राज कपूर की लोकप्रियता बढ़ने लगी और जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
जाने और भी बाते
फिल्म के सुपरहिट होने के पीछे और भी लोगो के हाथ थे, जिसमे ख्वाजा अहमद अब्बास, राज कपूर बेटे की भूमिका निभाए इस बात पर अब्बास राजी नहीं हुए और उन्होंने अपनी स्क्रिप्ट महबूब स्टूडियो से वापस मंगा ली थी. इसी के बाद राज कपूर ने इसे निर्देशित करने का फैसला किया.