Muslims in India increased 5 times in 60 years: बात 2015 की है जब इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में भारत में हिंदुओं की आबादी को लेकर बहस छेड़ दी थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ था तो कुल जनसंख्या का 85 फ़ीसदी हिंदू थे जो 2011 की जनगणना में घटकर 78.35 तक रह गई है. देश में एक ऐसा जमात है जो इस तरह के तमाम तथ्य मुस्लिमों (Muslim) की लगातार बढ़ती आबादी से खास इलाकों में परिस्थितियों में आए बदलाव और जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत पर होने वाली बहस को मुस्लिम विरोधी बताते हैं. यह वही वर्ग हैं जो आबादी में विस्फोट को नकारते हुए अक्सर मुसलमानों को प्रताड़ित दिखाने की कोशिश भी करता है.
अब अमेरिकी थिंक टैंक (American Think Tank) Pew रिसर्च सेंटर का अध्ययन दुनिया के सामने आया है. इसके आंकड़े दिल दहला देने वाले हैं. इससे पता चलता है कि आज भी भारत में सबसे ज्यादा बच्चे मुस्लिम ही पैदा कर रहे हैं. इससे यह भी स्पष्ट है कि 1951 से 2011 के बीच भारत की आबादी 3 गुनी हुई है लेकिन इस दौरान मुस्लिमों की आबादी 5 गुनी हो गई है. जनसंख्या में मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ़ने की वजह उनके लगातार बच्चे पैदा करने की लालसा बताई गई है.
वहीं दूसरी ओर महिला महिलाओं की प्रजनन दर भी 1993 से लेकर 2015 के बीच 4.4 बच्चे से कम होकर 2.6 बच्चे पर आ गई है पर बावजूद इसके यह सबसे अधिक है इस अध्ययन के अनुसार हिंदुओं की प्रजनन दर 2.1 है तो वही सबसे कम जैन धर्म की है जो 1.2 बच्चे प्रति महिला है.
बता दें कि प्यू रिसर्च सेंटर दुनिया का एक जाना माना थिंक टैंक है जो अक्सर दुनिया के अलग-अलग मामलो को लेकर अध्ययन करता रहता है. गौरतलब है कि, अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने से पहले प्यू ने 30 अप्रैल 2013 को एक सर्वे प्रकाशित किया था. इसमें 99% अफगानियों ने देश के आधिकारिक कानून के रूप में इस्लामी शरिया कानून का समर्थन किया था.