बीते 16 सितंबर को भारतीय नौसेना के आला अधिकारियों ने अमेरिका ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया संगठन AUKUS की घोषणा की. इस घोषणा से भारतीय नौसेना के अधिकारी लोग काफी निराश हैं. AUKUS का काम भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते असर को खत्म करने का है. इसे लेकर अमेरिका और ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया के लिए आठवीं के लिए संचालित हमलावर पनडुब्बियों का भी डिजाइन और निर्माण कर रहे हैं.
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के अधिकारियों और दिग्गजों ने न्यूक्लियर रिएक्टर प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी पर भारत और अमेरिका (America) के बीच सहयोग की भावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया है बता दें कि करीब 2 साल पहले आस्ट्रेलिया में ट्रक दो संवाद के दौरान यह बात करीब करीब साफ हो गई थी.
बता दें कि भारत के पास 2016 से परमाणु पनडुब्बी हैं भारत दुनिया का छठा ऐसा देश है जिसके पास परमाणु पनडुब्बी है वहीं 2016 में भारत ने आईएनएस अरिहंत को चालू कर दिया था हालांकि अरिहंत परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है लेकिन भारत एक SNN की ख्वाहिश रखता है.
SNN के बारे में बात करें तो यह तकनीकी रूप से सबसे जटिल सैनिक प्लेटफार्म माना जाता है यह पानी के भीतर जबरदस्त स्पीड देने में कारगर है. इन्हें पारंपरिक डीजल इलेक्ट्रिक परियों के विपरीत अपनी बैटरी को रिचार्ज करने के लिए या इसे सतह पर आने की जरूरत नहीं होती यह पारंपरिक पनडुब्बियों के हथियार बाहर का दुगना तक ले जा सकता है.
अमेरिका ने अपने एक संवाद में कहा था कि भारत हमसे वह तकनीक मांग रहा है जिससे हमने अपने सबसे करीबी सहयोगी ब्रिटेन (Britain) को भी अब तक नहीं दिया है. एक अमेरिकी एडमिरल ने अपने भारतीय समकक्ष से कहा था कि नौसेना प्रोपल्शन के मुद्दे पर राजनीतिक स्तर पर चर्चा करनी होगी. लेकिन यह अब तक साफ नहीं है कि इसे लेकर कोई भी चर्चा हुई भी है या नहीं.
फ्रांस करेगा मदद
वहीं दूसरी ओर फ्रांस (France) ने भारत को आश्वस्त किया है कि वह भारत को यह तकनीक देगा. वैसे भी अभी हाल ही के कुछ वर्षों के दौरान भारत और फ्रांस की दोस्ती काफी प्रगाढ़ हुई है. इस बात के मद्देनजर भी फ्रांस ने भारत की मदद करने के लिए आगे हाथ बढ़ाया है.