I will make Punjab into Delhi…: भारतीय लोकतंत्र के नए अलिखित सिद्धांत के अनुसार किसी राज्य में चुनावी वातावरण को मापने के दो बैरोमीटर होते हैं. पहला, जब राज्य के मुख्यमंत्री प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) को अपना राजनीतिक सलाहकार नियुक्त कर दे और दूसरा, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) दिल्ली छोड़ कर उस राज्य में पहुंच जाएं. राजनीतिक सलाहकार के रूप में प्रशांत किशोर की नियुक्ति बताती है कि चुनाव आठ-दस महीने रह गए हैं और केजरीवाल के दिल्ली चलकर उस राज्य में पहुँचने का अर्थ होता है कि चुनाव अब बस चार-पाँच महीने दूर हैं.
गौरतलब है कि एक समय ऐसा था जब चुनावी दवाब के सबसे निपुण बैरोमीटर स्वर्गीय राम विलास पासवान हुआ करते थे कुछ लोग तो उन्हें बैरोमीटर से भी आगे का मानते थे और उन्हें मौसम वैज्ञानिक तक कह देते थे रामविलास पासवान भी अपने लिए मौसम वैज्ञानिक जैसे अलंकार सुनकर खुश होते थे. इसी क्षमता के बदौलत वे अधिकतर समय सत्ता में ही रहे थे.
अब इस बैरोमीटर के रूप में केजरीवाल और प्रशांत किशोर की नई एंट्री हुई है.इस क्षेत्र में इन महान बैरोमीटरों के पदार्पण के साथ ही पिछले सात-आठ वर्षों से चुनावी मौसम की जानकारी अब केवल चुनाव आयोग के कंट्रोल में नहीं रहती. अब चुनावी सरगर्मियों की खबर के लिए लोगों का विश्वास चुनाव आयोग के नियमों से अधिक केजरीवाल के ट्रेवल प्लान पर है.
गौरतलब है कि केजरीवाल जहां भी जाते हैं बिजली प्रधान भाषण देते हैं. उनकी बात सुनकर लगता है कि ये आदमी राजनेता है या बिजली मिस्त्री? कभी-कभी तो लगता है कि पिछले आठ वर्षों से इस आदमी का सलाहकार कोई ज्योतिषी है जो ज्योतिषी बनने से पहले बिजली मिस्त्री का काम करता था और उसी की सलाह के अनुसार ही इनका भाषण लिखा जाता है.
अगर अरविंद केजरीवाल की बातें हो तो पंजाब को देखकर उनकी बाँछें खिल जाती होंगी. वे यह सोचकर मन ही मन खुद होते होंगे कि; इत्ते बड़े-बड़े शहर। इनमें विज्ञापन की कितनी होर्डिंग लगेंगी।. हर होर्डिंग पर मैं खड़ा रहूँगा। लोगों से पूछते हुए; वैक्सीन लिया क्या? या फिर ये बताते हुए कि; हमारे पंजाब की मोहल्ला क्लिनिक की नक़ल कनाड्डे की सरकार भी करना चाहती है।. या फिर; पंजाब सरकार को काम करने दीजिए प्रधानमंत्री सर. पंजाब सरकार सही काम कर रही है। कितने होर्डिंग होंगे. पंजाब को दिल्ली बना दूँगा.