गुजरात के श्यामलाजी मंदिर ट्रस्ट के बाद अब अम्बाजी शक्तिपीठ ट्रस्ट ने भी कहा है की मंदिर के अंदर आपको जो कपडे शोभा देते हों वहीं पहन कर मंदिर में प्रवेश करें. यह मामला चर्चा का विषय इसलिए बन रहा हैं क्योंकि कुछ दिन पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने ब्यान दिया था की फटी जीन्स पहनने वाली लड़कियों के चलते बच्चों पर कैसा प्रभाव पड़ता होगा उन्हें कैसे संस्कार मिलते होंगे.
इसके विरोध में देशभर में महिलाएं अपनी जीन्स फाड़ती हुई नज़र आयी और कुछ ने तो अपनी टांगों की फोटो डालते हुए कहा आप अपनी मानसिकता को बदलिए. यह एक लम्बी चर्चा का विषय है कुछ लोग उनके ब्यान से सहमत हो सकते हैं और कुछ लोग असहमत भी हो सकते हैं लेकिन यह एक सामाजिक चलन है. जिस वजह से इसे न तो पूरी तरह से स्वीकारा जा सकता है और न ही पूरी तरह से दुत्कारा जा सकता हैं.
अम्बाजी शक्तिपीठ ट्रस्ट के मंदिर की पौराणिक मान्यता है की, यहाँ पर देवी माँ का हृदय आकर गिरा था. यही कारण है की देश भर से लोग श्रद्धा के अनुसार इस मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं. अब प्रशासन ने जगह-जगह बोर्ड लगाकर लिख डाला है की, यहाँ पर छोटे कपडे पहन कर मंदिर में प्रवेश करना वर्जित हैं.
मीडिया की सुर्ख़ियों में आने के बाद जब विवाद बड़ा तो अम्बाजी शक्तिपीठ ट्रस्ट द्वारा ब्यान आया की यह फैसला कई सालों से लागू था. अब हमने बोर्ड लगाते हुए लोगों को इस फैसले के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया हैं. वामपंथी मीडिया और वामपंथी विचारधारा के लोग इस फैसले का विरोध कर रहें हैं.
देखा जाये तो यह सिर्फ इस मंदिर ही नहीं बल्कि मस्जिद और सिखों के सबसे बड़े धार्मिक स्थल दरबार साहिब में भी यही नियम लागू हैं. लेकिन अब क्योंकि यह मामला मंदिर से जुड़ा है तो इसपर वामपंथी अपना विरोध जता रहें हैं. बात करें मंदिर में रोज़ाना आने वाले लोकल श्रद्धालुवों की तो उन्होंने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है की यह बोर्ड बहुत पहले ही लगा दिए जाने चाहिए थे.