लोकसभा में कुछ दिन पहले वोटर कार्ड को लेकर सवाल जवाब हुए थे. इस सवाल जवाब में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद जी ने ब्यान देते हुए कहा हैं की देश में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्होंने एक से ज्यादा वोटर कार्ड बनवाये हुए हैं. ऐसे में हमने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है की वह वोटर कार्ड को आधार कार्ड से लिंक कर दें, जिससे अतिरिक्त वोटर कार्ड स्वयं ही समाप्त हो जाएंगे.
इसके इलावा अब चुनाव आयोग जनप्रतिनिधि कानून में कुछ बदलाव करने के लिए भी सरकार पर दबाव बना रही हैं. इस कानून में बदलाव करने का प्रस्ताव चुनाव आयोग ने 2019 में सरकार को भेजा था. रविशंकर प्रसाद ने कहा की चुनाव आयोग आधार के डाटा का इस्तेमाल महज़ वोटर की पहचान का सत्यापन करने के लिए करेगा.
इस सिस्टम से नाम में होने वाली गड़बड़ियां भी दूर होंगी, जिससे वोटर कार्ड धारक को चुनाव के समय बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने से भी निजात मिलेगी. रविशंकर प्रसाद ने यह भी आश्वासन दिया है की चुनाव आयोग का डाटा पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा जिससे आधार कार्ड से जुडी जानकारी गुप्त रखी जाएगी.
गौरतलब है की चुनाव आयोग ने 2015 में ही वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने का कार्य शुरू कर दिया था. उसके बाद कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में PIL डाली गयी. इस PIL की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जनप्रतिनिधि कानून में बदलाव करें या फिर कोई नया कानून बनाने का सुझाव दिया था जिस आधार पर चुनाव आयोग को वोटर कार्ड के साथ आधार कार्ड लिंक करने का अधिकार मिल सके.
अगर भारत में वोटर कार्ड के साथ आधार लिंक होता है तो इसका सबसे बड़ा फायदा भारत में एक इंसान के एक से ज्यादा बने वोटर कार्ड निरस्त करने में चुनाव आयोग को बड़ी कामयाबी मिलेगी. इसी के साथ इस बात पर भी अब विचार किया जा रहा है की अगर कोई इंसान अपने चुनाव के दिन अपने संसदीय क्षेत्र से आभार है तो उसका वोट कैसे लिया जा सकता है.