26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने दिल्ली के हालातों का जायजा लिया. सुरक्षा एजेंसियों के साथ हुई हाइ लेवल मीटिंग के बाद उन्होंने दिल्ली में 4500 NSG के जवानों को मोर्चा सँभालने के लिए बुलाया. इसके इलावा 2200 सिखो की पहचान की गयी है और 300 से अधिक सिखों को गिरफ्तार किया गया हैं.
इस पूरी हिंसा में एक किसान मारा गया जो तेज़ रफ़्तार ट्रैक्टर के साथ बेरिकेट तोड़ने की कोशिश कर रहा था. बेरिकेट तो टूट गया लेकिन साथ में ट्रैक्टर भी बुरी तरह से पलट गया जिसके निचे दबने से उसकी मौत हो गयी. इस मौत के बाद राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) ने अफवाह फैला दी की किसान की मौत गोली लगने की वजह से हुई हैं.
बस फिर क्या था पूरी दिल्ली में सिख आतंकियों (Sikh Terrorist) ने पुलिस पर हमले तेज़ कर दिए, बाद में सचाई बाहर आई तो राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट डिलीट कर दिया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) का कहना है की किसान नेता इस प्रदर्शन को शांतिपूर्वक बता रहे थे, एक रात पहले तक यह लोग पुलिस के बताये हुए रास्ते पर रैली निकालने के लिए तैयार थे.
लेकिन रैली के दौरान उन्होंने अपना रुट बदल लिया, इस दौरान कोई भी किसान नेता नहीं था जो उनको लीड कर रहा हो. बिना नेता के किसान इधर उधर सड़कों पर तोड़फोड़ करने लगे. देखते ही देखते हालात खराब हो गए, पुलिस लगातार दंगाइयों को कहती रही की शांति व्यवस्था बनाए रखें और कानून का पालन करें लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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किसान नेता जो रैली से पहले पुलिस के ‘बकक्ल उधेड़ने’ और ‘पुलिस को रौंदते हुए ट्रैक्टर मार्च निकालने’ की बात कर रहे थे अब वह नेता इस हिंसा से खुद को अलग बता रहें हैं. इसके इलावा अब दिल्ली पुलिस ने इन किसान नेताओं पर दंगा भड़काने, लूटमाट मचाने, राष्ट्र ध्वज का अपमान करने, पुलिस वालों की हत्या की साजिश रचने और उन्हें गंभीर चोट पहुँचाने के लिए एफआईआर दर्ज़ कर दी हैं, जल्द ही सब के सब जेल में होंगे. फिलहाल दो किसान संगठनों ने इस आंदोलन से खुद को अलग कर दिया है और जल्द ही बकै संघठन भी अलग हो सकते हैं.