किसान मुद्दा अब मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह जिद्द बन चूका हैं. सबसे पहले MSP पर लिखित आश्वाशन माँगा था, सरकार ने दिया, मंडियां ख़त्म नहीं होगी इसपर लिखी आश्वाशन माँगा सरकार ने दिया. अब किसान बिल रद्द करने की जिद्द पर बैठे किसानों को लेकर 11वें दौर की बैठक में सरकार ने साफ़ कह दिया की बिल वापिस नहीं होगा.
आपको बता दें की 10वें दौर की बैठक में सरकार ने सुझाव दिया था की हम इन बिलों को आगे 1 साल 6 महीने के लिए रोक देते हैं, इस बीच समिति के समक्ष होकर आप अपनी मांगे रखें और समिति जो फैसला करेगी हम आगे उस प्रकार चलेंगे. इस प्रस्ताव को भी किसान संगठनों ने ठुकरा दिया और अपनी जिद्द पर बिल रद्द करने की मांग को लेकर 11वें दौर की बैठक में जा पहुंचे.
11वें दौर की बैठक के साथ ही सरकार और किसान संगठनों (Kisan Union) के बीच की वार्ता लगभग ख़त्म हो गयी. क्योंकि सरकार ने साफ़ कर दिया है की अब बिल वापिस नहीं होगा और किसानों ने साफ़ कह दिया है की बिल वापिस करवाए बगैर हम वापिस नहीं जाएंगे. इसी के साथ अब अगली बैठक का भी कोई दिन या तारिख सामने नहीं आयी, जिससे कयास लगाए जा रहें हैं की अब शायद यह बैठक 26 जनवरी के बाद ही होगी.
किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने मीडिया को बयान देते हुए कहा है की, “सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है. अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया.”
कांग्रेस से 10 करोड़ की रिश्वत लेने के आरोप में किसान आंदोलन से बाहर निकाले गए सिख किसान नेता (Gurnam Chaduni) ने भी बयान देते हुए कहा की, “सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया. कृषि क़ानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की. अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है.”