उत्तर प्रदेश के मेरठ में गंगानगर इलाके का मामला सामने आ रहा हैं, बताया जा रहा है की इस इलाके में मजूद एक घर में कुछ लोग नकली नोट छाप रहे थे. इस पुरे गोरख धंदे में एक महिला और उसकी बेटियों समेत कुल 12 लोग शामिल हैं. इन सभी 12 लोगों का मुख्य काम केवल नकली नोटों की छपाई और कटाई था.
इस मामले का खुलासा भी बहु दिलचस्प तरीके से हुआ. दरअसल नकली नोट छापने के लिए वह एक नोट का इस्तेमाल कर रहे थे, यानी एक ही सीरियल नम्बर के नोट छापे जा रहे थे. ऐसे में महिला जब पास की दूकान में राशन लेने के लिए गयी उसने दुकानदार को वह खुद का ही छापा हुआ नोट पकड़ा दिया.
कुछ समय बाद जब दूकान किसी दूसरे ग्राहक को नोट देने लगा तो उसे एहसास हुआ यह नकली नोट हैं. उसने वह नोट साइड पर रख दिया, इतने ग्राहकों में अब यह कहना मुश्किल था की यह नोट किसने दिया था. फिर तीन दिन बाद उसी महिला की बेटी ने उसी दुकानदार को घर में छापा हुआ नोट पकड़ा दिया. दूकानदार ने लड़की को सामान तो दे दिया लेकिन जब उसने थोड़ी देर बाद नोट का सीरियल नंबर देखा तो वह 3 दिन पहले मिले नकली नोट के सीरियल नंबर से मैच कर रहा था.
दुकानदार ने बिना देरी किये इसकी सूचना पुलिस को दे दी. पुलिस ने जब घर में छापा मारा तो आरोपियों के घर में एक हाइ क्वालिटी का कलर प्रिंटर मिला, जिसमें वह दोनों साइड फोटो कॉपी निकाल रहे थे. पुलिस ने 1 लाख 10 हजार के कुल नकली नोट पकडे और फिलहाल पुलिस यह पता लगा रही है की क्या यह नकली नोटों का व्यापार करते थे या फिर यह इन नोटों को अपने लिए इस्तेमाल करते थे.
पुलिस का कहना है की हमने मौके पर से मुख्य आरोपी महिला, उसकी बेटी, दो अन्य युवती और सात युवकों को गिरफ्तार किया हैं. मुख्य आरोपी महिला के साथ-साथ उसका पति भी इस रैकेट में शामिल हो सकता हैं, जब हमने दबिश दी तो वह घर पर नहीं था और अभी तक उसका पता नहीं चला. जिस तादार में यह लोग काम कर रहे थे उससे लगता है की यह लोग नकली नोटों की सप्लाई का भी काम करते होंगे.