औरंगाबाद को ‘संभाजी नगर’ करने पर शिवसेना-कांग्रेस में विवाद

महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार में अब आपसी कलह स्पष्ट रूप से सामने आने लगा हैं. दो अलग अलग विचारधाराओं वाली पार्टी जब गठबंधन करती है तो हमें ऐसे ही विवाद अक्सर देखने को मिलते हैं. शिवसेना महाराष्ट्र के औरंगाबाद का नाम बदल कर ‘संभाजी नगर’ करना चाहती हैं, जिससे उसकी हिंदुत्व वाली छवि बरकरार रहे.

दूसरी तरफ कांग्रेस भी अपनी सेक्युलर छवि को खराब नहीं करने देना चाहती, इसलिए वह इसका विरोध कर रही हैं. आपको बता दें की यह गठबंधन महाराष्ट्र में केवल मुख्यमंत्री पद हासिल करने के लिए हुआ था, शिवसेना बीजेपी से ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद चाहती थी, जब बीजेपी ने यह देने से इंकार कर दिया तो कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर शिवसेना को मुख्यमंत्री पद सौंप दिया, जिससे महाराष्ट्र में ख़त्म होती कांग्रेस और एनसीपी को वापिस एक बार जीवनदान मिल गया.

क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले अटकलें लगाई जा रही थी की एनसीपी का वर्चस्व ख़त्म होने की कगार पर हैं. इसलिए हो सकता है की इस बार सत्ता में ना आने के बाद एनसीपी का विलय वापिस कांग्रेस में हो जाये. अब सरकार बनने के बाद यह अटकलें ख़त्म हो चुकी है और अब तो शारद पवार UPA की कमान सँभालने की दावेदारी पेश कर रहें हैं.

शिवसेना आज से नहीं बल्कि कई समय से इस मांग को रख रही है की औरंगाबाद का नाम बदल कर हमें ‘संभाजी नगर’ कर देना चाहिए. यह मांग बीजेपी के समय पर भी शिवसेना ने कई बार रखी थी लेकिन उस समय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री बालासाहेब थोराट ने इस मांग का विरोध प्रदर्शन किया था.

शिवसेना का कहना है की शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने 30 साल पहले इसका नाम संभाजी नगर रख दिया था. लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इस नाम को बदलने की मात्र औपचारिकता बाकी हैं. ऐसे में कांग्रेस को इस बात का विरोध नहीं करना चाहिए, इससे गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

शिवसेना अपने अपने पत्र सामना में लिखा है की, “बाबर भारत के मुस्लिमों का पिता नहीं है, जिस तरह पापी औरंगज़ेब यहाँ के मुस्लिमों का चाचा नहीं है.” उन्होंने कहा की भारत के मुसलमानों का इन दोनों से कोई लेना देना नहीं हैं, ऐसे में न तो धर्निर्पेक्ष खतरे में आएगा और न ही मुस्लिम इस निर्णय के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे. फिलहाल मामला दोनों पार्टियों में उलझता जा रहा है आगे देखना दिलचस्प होगा की क्या शिवसेना अपनी मांग को सही ठहरा पाती हैं.

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