खालिस्तानियों पर मोदी सरकार करने जा रही अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही

खालिस्तानी आतंकी और उनसे जुड़े गैर सरकारी संगठन पंजाब के साथ साथ देश भर में किसान आंदोलन को तेज़ करने के प्रयास में हैं. मीडिया जब आंदोलन में आये हुए लोगों से सवाल पूछती हैं तो लोगों को तीनों बिलों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं होती. ऐसे में यह तो साफ़ है जो लोग सिंघु बॉर्डर पर बैठे है वो इन बिलों के विरोध में नहीं बल्कि मौज मस्ती के लिए या फिर पैसे के लालच में आकर बैठे हुए हैं.

पंजाब में जो किसान इन बिलों के समर्थन में हैं, उनका कहना है की सिंघु बॉर्डर पर आढ़तिये और जमींदार ही बैठे हुए हैं. केंद्र इस मामले को शांतिपूर्वक ख़त्म करना चाहता है लेकिन खालिस्तानी चाहते हैं की इस मामले में हिंसा हो और केंद्र को फिर कार्यवाही करनी पड़े, ऐसा हुआ तो विदेशों में बैठे खालिस्तानी अपनी मांग को मजबूती से दूसरे देशों के सामने रख पाएंगे.

अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट्स पर सख्त कार्यवाही करने के निर्देश जारी कर दिए हैं. इन रिपोर्ट्स के आधार पर जितने भी ऐसे NGO हैं जिन्हे कनाडा या फिर ऐसे देश जहां खालिस्तानियों की संख्या ज्यादा हैं, उन NGO के बैंक खातों की और आने वाली संख्या की व्यापक जांच होगी.

पिछले कुछ हफ़्तों से सरकारी एजेंसियां खालिस्तान समर्थक समूहों जैसे सिख फॉर जस्टिस (SFJ), बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, खालिस्तान टाइगर फोर्स आदि पर सख्त नज़र बनाये हुए हैं. इनपर या इनके पैसे पर चलने वाले NGO पर कार्यवाही करने के लिए NIA, ED, CBI और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियां को खुली छूट प्रदान की गयी हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जिस प्रकार जम्मू कश्मीर में भारतीय सरकार ने अलगावादी नेताओं का पूरा नेटवर्क ध्वस्त किया था. उसी प्रकार अब वह खालिस्तान समर्थक संगठनों, NGO और खालिस्तानी आतंकवादियों का नेटवर्क भारत में तोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हो चुके हैं.

कार्यवाही का ही नतीजा है की आंदोलन के बीच में सरकार ने नौ खालिस्तानी आतंकवादियों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम संशोधित अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया था. यह कार्यवाही SFJ का गुरवपंत सिंह पन्नून, बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) का यूनाइटेड किंगडम प्रमुख परमजीत सिंह, खालिस्तान टाइगर फोर्स का कनाडाई प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स का जर्मन सदस्य गुरमीत सिंह बग्गा और भूपिंदर सिंह भिंडा सहित पाकिस्तान के चार आतंकवादियों के खिलाफ हुई थी.

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