खुद को अणदाता या भगवान कहने वाले किसान दिल्ली का हुक्का पानी बंद करने के मकसद से दिल्ली के सभी मुख्य हाईवे बंद करके रखने वाले किसान लगभग 40 किसान संगठनों के बैनर तले आंदोलन के लिए बैठे है. अपने लिए यह लोग पश्चमी बंगाल और हैदराबाद में होने वाले विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने के मकसद से छह महीने का राशन पानी लेकर आये हुए हैं.
इन किसान संगठनों में ज्यादातर संघठन किसी न किसी राजनैतिक पार्टी से जुड़े ही हुए हैं. लेकिन इन संगठनों में एक संघठन ऐसा भी है जो खुद को स्वतंत्र बताता हैं और किसी पार्टी को समर्थन न करने की बात दोहराता हैं. उस संघठन का नाम है ‘भारतीय किसान यूनियन’.
इस यूनियन के अध्यक्ष ‘राकेश टिकैत’ ने मीडिया को कहा हम किसी पार्टी का समर्थन नहीं करते. फैसला किसानों की भलाई के लिए होना चाहिए फिर चाहे सरकार किसी की भी हो. लेकिन जब इनका ट्विटर खंगाला गया तो आप उसमें पाएंगे इन्होने कांग्रेस सरकार में हुए वह घोटाले जिन्हे सुप्रीम कोर्ट ने भी माना की यह घोटाले हुए हैं.
जिन घोटालों में कांग्रेस नेताओं को जेल भी जाना पड़ा इन्होने उन घोटालो के लिए भी एक पोस्ट तक नहीं किया. बल्कि मनमोहन सरकार की नीतियों को किसानों के हक़ में बताया, जबकि मनमोहन सरकार 100 प्रतिशत FDI लेकर आने वाली थी. इसके बाद इनके ट्विटर अकाउंट में देखेंगे तो आपको दिखेगा यह हमेशा मोदी सरकार की नीतियों के विरोध में रहें हैं.
मोदी सरकार की राफेल मामला जिसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी को भी सुप्रीम कोर्ट में माफ़ी मांग चुके हैं, सुप्रीम कोर्ट ने इस डील को क्लीन चिट भी दे दी हैं. इसके बावजूद आपको इनके ट्विटर अकाउंट पर राफेल को लेकर मोदी सरकार पर घोटाले का आरोप लगाने वाला ट्वीट दिख जायेगा.
ऐसे में आप अगर मीडिया में बयान दें की हम तो किसी पार्टी का समर्थन नहीं करते, हम स्वतंत्र हैं और किसानों के हक़ में बात करते हैं तो यह कहां तक सही हैं? आज किसान आंदोलन में हमें शरजील इमाम के साथ साथ CAA को लेकर हुए दंगों में जितनी भी गिरफ्तारियां हुई उन सबकी तस्वीरों के साथ कुछ खालिस्तानी प्रदर्शन करते हुए नज़र आये. क्या वह किसान थे? क्या उनका किसानों के साथ कोई लेना देना हैं? दरअसल किसान जो खुद को भगवान् समझ रहें हैं उनके कंधे पर खालिस्तानी और इस्लामिक कट्टरपंधी बन्दूक चलाने का प्रयास कर रहें हैं.