स्वदेशी वैक्सीन को लेकर NDTV ने कल झूठी और भ्रामक ख़बरें फैलाई. जिसको लेकर भारतीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने NDTV की इस झूठी पत्रकारिता को लेकर सवाल खड़े किये और ख़बरों को सिरे से नकार दिया. NDTV का कहना था की, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल को अस्वीकार कर दिया हैं.
NDTV ने अपनी इस फेक रिपोर्ट में कहा था की, ‘विश्व की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने 6 दिसंबर 2020 को ऑक्सफोर्ड वैक्सीन, ‘कोविशिल्ड’ के लिए अनुमोदन का अनुरोध किया था. इसके साथ ही भारत बायोटेक ने अपने स्वदेशी रूप से विकसित COVID-19 वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ के आपातकालीन उपयोग अनुमोदन के लिए भी मंत्रालय से आवेदन किया था.’
NDTV ने सूत्रों का हवाला देते हुए मनगढंत न्यूज़ लिख कर कहा की, ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की वैक्सीन को सुरक्षा कारणों के चलते मंत्रालय ने इन्हें आपातकाल स्थिति में इस्तेमाल करने से रोक दिया हैं. साथ ही मंत्रालय ने दोनों से इस बारे में ज्यादा जानकारी मुहैया करवाने के लिए भी कहा हैं.’
NDTV ने यह खबर तब चलाई जब भारत में विदेशी राजनेता और डॉक्टर्स की एक टीम भारत में चल रहे वैक्सीन के इंतजामों को देखने के आई हुई हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है की क्या NDTV को विदेशी फंडिंग हुई हैं, भारतीय वैक्सीन के खिलाफ भ्रामक ख़बरें चलाने के लिए?
NDTV के इस खबर चलाये जाने के बाद बाकी के मीडिया हाउस News18, India Today, CNBC TV 18 और कई अन्य समाचार चैनल्स ने भी TRP के चक्कर में हैडलाइन छापते हुए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की वैक्सीन को इसी न्यूज़ को चलाना शुरू कर दिया.
इनमें से किसी भी मीडिया हाउस ने मंत्रालय या फिर वैक्सीन बनाने वाली कंपनी के अधिकारीयों से बात करने की कोशिश नहीं की. सबने सूत्रों का हवाला देते हुए इस खबर को चलाया, यह खबर भारतीय नजरिये से इसलिए भी बुरी थी क्योंकि इस वक़्त पूरा विश्व जनता हैं की भारत ही एक ऐसा लौता देश है जो पुरे विश्व के लिए वैक्सीन की सप्लाई में एहम भूमिका निभा सकता हैं. ऐसे में अगर खबर आये की भारतीय मंत्रालय अपने ही देश की बनाई वैक्सीन इस्तेमाल नहीं करना चाहता तो बाकी के देश फिर क्यों करेंगे?