जैसा की आप सब जानते हैं, बोलने की आज़ादी गैंग और लोकतंत्र की रक्षा गैंग गैर बीजेपी शासित राज्यों में अपनी आँखें मूँद लेती हैं. ऐसे में अर्नब गोस्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट के जजों को की गयी सख्त टिप्पणी के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट के जज अपनी इमेज सुधारने में लगे हुए हैं.
लोकतंत्र में सरकार को सम्मान के साथ-साथ विरोध का भी सामना करना पड़ सकता हैं. लेकिन महाराष्ट्र की सरकार सम्मान के इलावा कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं. क्योंकि महाराष्ट्र की सरकार सोशल मीडिया पर अपनी आलोचना करने वाले लोगों के खिलाफ खुल कर एक के बाद एक मुकदमे दर्ज़ करवा रही हैं.
ऐसे में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे के मामले में सुनवाई करते हुए कहा की, “जो ट्विटर पर आलोचना करेंगे, उन सब पर कार्रवाई करोगे?” आपको बता दें की एसएस शिंदे और एमएस कार्णिक ने सुनैना होली की याचिका में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की हैं.
ट्विटर पर महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करते हुए पोस्ट किये गए तीन तस्वीरों की वजह से शिवसेना ने बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स साइबर क्राइम डिपार्टमेंट में शिकायत दर्ज़ करवा दी थी और रजिस्टर शिकायत की वजह से अगस्त में पुलिस ने सुनैना होली को गिरफ्तार कर लिया था. बाद में उन्हें जमानत तो मिल गयी लेकिन केस ख़त्म नहीं हुआ, अब उनका वकीट अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर कोर्ट में सरकार से सवाल पूछ रहा हैं.
आपको बता दें की यह वही बॉम्बे हाई कोर्ट हैं जिसपर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से पहले अक्टूबर 30, 2020 को कोर्ट ने सुनैना को आदेश दिया था कि वो पुलिस के समक्ष पेश हों. वहीं सरकार के वकील का कहना है की महिला पर कुछ न कुछ कार्यवाही जरूर हो, मामला 3 दिसंबर के लिए टाला गया हैं. लेकिन कल हुई टिप्पणियों से साफ़ है की शायद ही कोर्ट महिला पर कार्यवाही करने का आदेश दे. फिर भी सवाल वही है की आखिर बोलने की आज़ादी गैंग और लोकतंत्र की रक्षा गैंग हैं कहाँ?