काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा देश में अब अपनी रफ़्तार पकड़ रहा है. यह मामला अभी लोअर कोर्ट में हैं. लेकिन 1992 में बने एक्ट जिसमें कहा गया था की 1992 के बाद जो धार्मिक स्थल जहाँ मजूद हैं, भविष्य में उसका लेकर कोई दूसरा समुदाय अपना दावा नहीं ठोक सकता.
ऐसे में यह मुद्दा अपने आप में दिलचस्प होगा, क्योंकि अदालतें भारतीय संविधान का उल्लंघन नहीं कर सकती. इसलिए जब तक इस एक्ट में बदलाव नहीं होगा तब तक सबूत पेश किये जाने के बाद भी अदालतें इसका फैसला मंदिर के पक्ष में नहीं सुना सकती. फिर भी देव दीपावली के दिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में मजूद थे.
ऐसे में ट्विटर पर भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने काशी विश्ववनाथ की मुक्ति का मसला उठाते हुए लिखा की, “औरंगजेब ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी, उसके स्थान पर दोबारा काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण होना चाहिए.”
सुब्रमण्यम स्वामी आगे लिखते हैं की, “वाराणसी के वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण होलकर साम्राज्य की रानी अहिल्याबाई ने करवाया था. क्योंकि वह उस स्थान पर ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मंदिर की पुनर्स्थापना की प्रारंभिक संभावना नहीं देख सकती थीं जहाँ औरंगजेब के आदेश पर मस्जिद निर्माण हुआ था. लेकिन अब हमें इसको वापस हासिल करना होगा.”
आपको बता दें की कुछ हफ्ते पहले ही सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने जिला जज की अदालत में मस्जिद के खिलाफ चल रही सभी विवादों की याचिका खारिज करने की मांग की थी. इसपर देर से याचिका दायर करने के चलते अदालत ने सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड पर 3000 रूपए का जुर्माना भी लगाया था.
इतिहास की बात करें तो काशी मंदिर में सबसे पहला हमला 11वीं शताब्दी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था. उसके बाद 1585 में राजा टोडरमल ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया जिसे दुबारा 1669 में औरंगजेब ने तुड़वा दिया और वहां मस्जिद बना दी. फिर 1780 के दौरान मालवा की रानी अहिल्याबाई ने ज्ञानवापी परिसर के ठीक बगल में नए मंदिर का निर्माण करवा दिया. गौरतलब है की ज्ञानवापी मस्जिद के निचे का हिस्सा ही असली काशी विश्वनाथ मंदिर हैं.