लगभग दो साल पहले की बात हैं जब केरल में एक वामपंथी नेता ने 4 महीने की गर्भवती महिला के पेट पर लात मार दी थी. अपना बच्चा खोने के बाद उस महिला बालुसरी से पंचायत चुनावों में उतरने का फैसला किया और भाजपा की प्रत्याशी बन गयी. इसकी जानकारी खुद केरल में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव बीएल संतोष ने अपने ट्विटर अकाउंट पर दी हैं.
2018 में जब यह घटना हुई तो महिला ने आरोपी वामपंथी नेता के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज़ करवा दी थी. पुलिस का सुस्त रवैया देखकर महिला मीडिया में पहुंची और इंडिया टुडे में आर्टिकल छपने के बाद केरल पुलिस की देशभर में थू-थू हुई. देश भर में थू-थू करवाने के बाद केरल पुलिस नींद से जागी और इस घटना के कुल 7 आरोपियों की गिरफ्तारी की.
इन सातों आरोपियों को बाद में कोर्ट में पेश किया गया और पता चला की यह पूरा विवाद जमीन को लेकर हुआ था. वामपंथी नेता दरअसल दोनों पार्टियों का समझौता करवाने के लिए महिला के घर पहुंचा था, जहाँ बहस बढ़ने पर वामपंथी नेता ने महिला के पेट पर लात मार दी.
इस लात के बाद गर्भवती महिला के प्लेसेंटा (गर्भ में जिससे बच्चे को खून, खाना जाता है) पर ब्लड क्लॉट बन गए और मजबूरी में महिला को अपना बचा गिरवाना पड़ा. महिला का कहना है की वह बीजेपी को केरल में मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिससे केरल में वामंपथ के अमानवीय व बर्बर शासन का अंत हो सके.
वामपंथ का अमानवीय व बर्बर शासन कितना खतरनाक हो सकता है यह आप चीन में देख सकते हैं. दुनिया जिस आतंकवाद से जूझ रही हैं, चीन उइगर मुसलमानों पर अत्याचार करते हुए भी कोई आतंकी संगठन उसके खिलाफ बोलने या कार्यवाही करने के लिए तैयार नहीं होता. चीन में नजाने कितनी मस्जिदें गिराकर टॉयलेट बनवा दी गयी, लेकिन आपने इसका विरोध कहीं नहीं देखा होगा.
वामपंथी और इस्लामिक विचारधारा का कोई मेल नहीं हैं. लेकिन भारत में यह लोग एक दूसरे से हाथ मिलाये बैठे हैं, दरअसल यह दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली पॉलिसी के तहत काम कर रहे हैं. इसीलिए आतंकवादी गतिविधियों के चलते अगर किसी को गिरफ्तार किया जाता है तो वामपंथी उसके लिए मार्च निकालने से लेकर सोशल मीडिया पर हैशटैग तक चला देते हैं.