भारत एक ऐसा देश हैं जिसमें बोलने की आज़ादी के नाम पर डरे हुए नौजवान पुलिस स्टेशन की दीवारों तक पर ऐसी बातें लिख देते हैं. जिससे वहां पर शांति का माहौल बिगड़ सकता हैं. इसके बावजूद अगर पुलिस कार्यवाही करे तो कांग्रेस वकील और वामपंथी उस डरे हुए युवक के पक्ष में खड़े हो जाते हैं और कार्यवाही को बोलने की आज़ादी के खिलाफ बताते हैं.
अब ऐसी खबर आ रही है की मंगलुरु में एक पुलिस स्टेशन की दीवार के बाहर कुछ डरे हुए युवाओं ने लिखा है की, “गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा”. वहां लोकल लोगों का कहना हैं की यह ग्राफिटी संभावित तौर पर शनिवार (28 नवंबर 2020) रात को बनाई गयी होगी.
इससे ठीक पहले 26/11 हमले की बरसी पर भी ऐसी ही ग्राफ्टी देखने को मिली थी. जहाँ लिखा हुआ था की, “हमें इस बात के लिए मजबूर नहीं किया जाए कि हमें संघियों और मनुवादियों का सामना करने के लिए लश्कर-ए-तैय्यबा और तालिबान की मदद लेनी पड़े.” आपको बता दें की अमेरिका भी अपनी एक रिपोर्ट में कह चूका है की ISIS और दूसरे आतंकी संघठन भारत के केरल में अपना दबदबा बढ़ा रहें हैं.
भारतीय जांच एजेंसियां भी इसको लेकर अपनी चिंता पहले ही जाहिर कर चुकी हैं. इसके साथ ही बताया जा रहा है की इस ग्राफ्टी में ‘लश्कर जिंदाबाद’ का हैशटैग भी इस्तेमाल किया गया था. पुलिस का यह कहना है की यह ग्राफ्टी यहाँ के लोगों ने 27 नवंबर की सुबह देखी हैं.
भारत में डरे हुए युवक अब आतंकी संगठनों द्वारा मदद लिए जाने की सीधी चेतावनी भारतीय सरकार और भारतीय लोगों को दे रहे हैं. ऐसे में केंद्र के लिए और भारतीय जांच एजेंसियों के लिए मानव अधिकार संस्थान और विपक्षी पार्टियों के सवालों से बचते हुए इनपर कार्यवाही करना भी आसान काम नहीं हैं.
लेकिन यह एक चेतावनी जरूर है की भारत में यह लोग इस्लामिक राज़ लाने के लिए किसी भी हद्द तक जा सकते हैं. जिसका समर्थन कांग्रेस, वामपंथी और इस्लामिक संघठन पुरे जोर शोर से कर भी रहें हैं. इसलिए अगर किसी को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के चलते गिरफ्तार किया जाता है तो यही विपक्षी दल और इस्लामिक संघठन इसे अलप्संख्यक पर हुआ अत्याचार बताते हैं.