केंद्र सरकार शुरू से ही किसानों को बातचीत के लिए दिल्ली बुला रही हैं. लेकिन किसान संघठन जब पंजाब में थे तो यह बातचीत के लिए मना करते रहे, बाद में इस आंदोलन में राजनितिक पार्टियां, वामपंथी पार्टियां और इस्लामिक संगठनों की एंट्री हुई. ऐसे में देश के विभिन्न और पंजाब हरियाणा के ज्यादातर किसान संगठनों ने दिल्ली कूच करने का फैसला कर लिया.
ऐसे में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के ज्यादातर हाईवे ब्लॉक कर दिए गए. इन हाईवे पर या तो किसानों ने कब्ज़ा कर रखा है या फिर पुलिस के भारी संख्या बलों ने इन आंदोलनकारियों को रोकने के लिए हाईवे जाम कर रखा हैं. ऐसे में अब किसान संघठन केंद्र से बातचीत करने का प्रयास कर रहें हैं.
इसी को देखते हुए देश के गृहमंत्री अमित शाह ने बयान देते हुए कहा है की, “मैं प्रदर्शनकारी किसानों से अपील करता हूँ कि भारत सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है. कृषि मंत्री ने उन्हें 3 दिसंबर को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है. सरकार किसानों की हर समस्या और माँग पर विचार करने के लिए तैयार है.”
अमित शाह ने देश की जानी मानी न्यूज़ एजेंसी ANI को इंटरव्यू देते हुए कहा की, “कृपया शांतिपूर्ण तरीके से अपने आंदोलन को जारी रखें. हम आपसे जरूर बात करेंगे. सरकार आपसे हमेशा बात करने के लिए तैयार है. एक बार जब आप अपना आंदोलन उस मैदान पर स्थानांतरित कर देंगे, तो भारत सरकार आपसे अगले दिन बात करने के लिए तैयार है.”
अमित शाह आगे कहते हैं की, “यदि किसान संघ 3 दिसंबर से पहले चर्चा करना चाहते हैं, तो मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि जैसे ही आप अपना विरोध प्रदर्शन मैदान पर स्थानांतरित कर देंगे, हमारी सरकार अगले दिन आपकी चिंताओं को दूर करने के लिए वार्ता करेगी.”
किसान चाहते हैं की उन्हें दिल्ली के जंतर मंतर मैदान में प्रदर्शन करने की इज्जाजत मिले, जबकि सरकार ने उन्हें दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी ग्राउंड पर प्रदर्शन करने की इजाजत दी हैं. किसान तीनों बिलों को वापिस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं और सरकार इन बिलों से जुडी कुछ भ्रांतियों को दूर करने और चर्चा करके इनमें बदलाव करने की बात कह रही हैं. ऐसे में देखना यह होगा की किसान आंदोलन आगे चलकर क्या रूख तय करेगा.