किसान आंदोलन अब वामपंथियों, इस्लामिक संगठनों और खालिस्तानी समर्थकों द्वारा कब्ज़ा लिया गया हैं. इसके सबूत आपको इसी बात से पता चल सकते हैं की किसान आंदोलन के नाम पर जो भीड़ दिल्ली जा रही हैं, उसमें पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहें हैं.
कुछ जगहों पर भिंडरावाला की फोटो और उसके नारे लगाए गए, यहाँ तक की अब साफ़ तौर पर मोदी को इंदिरा की तरह मौत के घाट उतारने की धमकी दी जा रही हैं. ओखला से आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान द्वारा जुटाई हुई भीड़ में जब एक खलिस्तानी सिख भाषण दे रहा था तो उसने अपने भाषण में कहा की. “जय हिन्द नहीं… भारत माता भी नहीं, इंदिरा जैसा सबक मोदी को भी सिखाएँगे.”
राजनीती एक ऐसी चीज है की अगर आपको चुनाव जीतने हों तो अपनी दादी के हत्यारों के साथ भी कंधे से कन्धा मिलाकर चलना पड़ता हैं. यही कारण हैं की खालिस्तानी समर्थक इंदिरा की हत्या का जिस प्रकार से गुणगान कर रहें है और राहुल गाँधी या फिर कांग्रेस का एक नेता तो छोड़ो कोई समर्थक तक भी ऐसे बयानों की निंदा तक नहीं कर रहा ऐसे में आप क्या कहेंगे?
अभी एक दो दिन पहले भी एक ऐसा ही खालिस्तानी समर्थक मीडिया में सामने आया था और उसने कहा था की, “अगर 3 दिसंबर की उस मीटिंग में कुछ हल नहीं निकला तो बैरिकेड तो क्या हम तो इनको (शासन प्रशासन) ऐसे ही मिटा देंगे. हमारे शहीद उधम सिंह कनाडा की धरती पर जाकर उन्हें (अंग्रेज़ों को) ठोक सकते हैं तो दिल्ली कुछ भी नहीं है हमारे लिए. जब इंदिरा ठोक दी तो मोदी की छाती भी ठोक देंगे.”
यह भारत ही हैं जहां खालिस्तानी समर्थक बोलने की आज़ादी के नाम पर बड़ी बड़ी बातें बोल रहें हैं. पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इनको कुछ नहीं समझा जाता, यही कारण हैं की वहां से भागकर भारत में शरण लेने वाले सिख भाइयों के लिए यह कुछ भी नहीं करते. अगर इतना ही गुस्सा और इन्साफ पसंद है तो अफगानिस्तान और पाकिस्तान में गुरुद्वारा में हमला करने वालों को यह मौत के घाट क्यों नहीं उतारते?