जब किसान आंदोलन बिल संसद में लाया गया था तो वोटिंग के दिन राहुल गाँधी अपनी माँ सोनिया गाँधी के साथ संसद के मानसून सत्र से बाहर रहे. इन्होने इस बिल की वोटिंग का हिस्सा बनना सही नहीं समझा. जैसे ही बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में पास हुआ उस दिन से कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ानी शुरू कर दी की मोदी सरकार MSP ख़त्म करने जा रही हैं.
हालाँकि इसको लेकर सितंबर में राहुल गाँधी ने मोदी जी से सवाल करते हुए कहा था की, “अगर APMC मार्केट को खत्म कर दिया जाता है तो किसानों को MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) कैसे मिलेगा? सरकार MSP की गारंटी क्यों नहीं दे रही है. मोदी जी किसानों को पूँजीपतियों का ‘ग़ुलाम’ बना रहे हैं, जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा.”
इस पर नरेंद्र मोदी जी ने जवाब देते हुए कहा था की, “मैं पहले भी कह चुका हूँ और एक बार फिर कहता हूँ. MSP की व्यवस्था जारी रहेगी. सरकारी खरीद जारी रहेगी. हम यहाँ अपने किसानों की सेवा के लिए हैं. हम अन्नदाताओं की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे.”
नरेंद्र मोदी जी ने आगे अपने अगले ट्वीट में कहा था की, “दशकों तक हमारे किसान भाई-बहन कई प्रकार के बंधनों में जकड़े हुए थे और उन्हें बिचौलियों का सामना करना पड़ता था. संसद में पारित विधेयकों से अन्नदाताओं को इन सबसे आजादी मिली है. इससे किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा और उनकी समृद्धि सुनिश्चित होगी.”
पिछले 70 साल से देश का हर एक नागरिक सुनता आ रहा है की जब किसान अपना गेहूं 2 रूपए किलो के भाव से बेचता है तो आता 20 रूपए किलो कैसे हो जाता हैं. यह एक उदाहरण था, मतलब कहने का था की बीच में बैठे लोग बिना अपना वक़्त और पैसा लगाए कितना मोटा पैसा खा रहें हैं.
इन्हीं पैसे खाने वाले विचौलियों को एक झटके में मोदी सरकार ने ख़त्म कर दिया हैं, किसान अब सीधा कॉर्पोरेट को अपनी फसल बेच सकता हैं, उसका दाम सही न लगे तो मंडी में बेच सकता है और दोनों से दाम सही न लगे तो वह जाकर अपनी फसल सरकार को MSP पर बेच सकता हैं. ऐसे में कांग्रेस द्वारा भड़काए हुए पंजाब के किसान किस कारण या फिर किसके दबाव में आंदोलन को भयानक रूप दे रहें हैं यह तो वहीं बता सकते हैं.