West Bengal Election: तो बीजेपी के हिंदुत्व की काट के लिए ममता खेल रही है यह दांव

पश्चिम बंगाल के अंदर विधानसभा के चुनाव (West Bengal chunaav 2021) होने वाले हैं लेकिन उससे पहले TMC पार्टी ने फैसला लिया है कि पार्टी बंगाली गौरव का आह्वान कर के बीजेपी के हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला करेगी! पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के सुर में सुर मिलाते हुए टीएमसी के नेताओं ने BJP को बार-बार हरि लोगों की पार्टी कहकर हमला करना शुरू कर दिया है!

तो भारतीय जनता पार्टी ने भी राज्य के अंदर पार्टी के चुनाव अभियान का मैनेजमेंट संभालने के लिए अपने आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को भेज दिया है तो वही टीएमसी ने शुक्रवार को अपने मंत्री ब्रात्य बसु को मैदान में उतार दिया है! बसु फिल्मी जगत और रंगमंच के जाने-माने चेहरे जिनकी बंगाल के अंदर संस्कृति जगत में भी काफी लोकप्रियता है! उन्होंने नंदीग्राम और सिंगूर की घटनाओं के दिनों में ममता बनर्जी के परिवर्तन का समर्थन दिया था और सक्रिय राजनीति में शामिल होने का संकल्प लिया था!

टीएमसी के नेता बसु ने सवाल उठाते हुए कहा है कि “बीजेपी ने बंगाल के अपने किसी सांसद को पूर्ण कैबिनेट बर्थ क्यों नहीं दी है? उनका एकमात्र उद्देश्य बंगालियों को नियंत्रित करना है ताकि हम उनके अधीन रहें! क्या हालात इतने खराब हैं कि बंगाल और बंगाली उनके आगे झुक जाएंगे? क्या बंगालियों को दूसरे राज्यों के नेताओं को स्वीकार करना चाहिए जिन्हें हम पर थोपा जाए!”

इतना ही नहीं बल्कि उनका कहना है कि “क्या वे यूपी या गुजरात में एक भी ऐसा मंत्री बता सकते हैं जिसका सरनेम- चटर्जी, बनर्जी, सेन या गांगुली हो? क्योंकि वे वहां रहने वाले बंगालियों को अपना नहीं मानते! वहां बंगाली बाहरी समझे जाते हैं!”

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के मंत्री बसु ने पूछा, “उत्तर भारतीयों बंगालियों को तब से किनारे करने की कोशिश करते रहे हैं जब से सुभाषचंद्र बोस त्रिपुरी कांग्रेस में हारे थे! वही अब ममता बनर्जी के साथ भी दोहराया जा रहा है! लेकिन वे बोस की ही तरह लड़ रही हैं! बंगाली राष्ट्रवाद के अतीत को कुरेदते हुए बसु ने क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों खुदीराम बोस और बिनॉय-बादल-दिनेश के बलिदानों की भी याद दिलाई!

उन्होंने कहा, “सेल्युलर जेल का नाम सावरकर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अंग्रेजों के सामने पांच दया याचिकाएं लिखीं, लेकिन हेमचंद्र कानूनगो, बारिन घोष, उल्लासकर दत्ता के नाम पर क्यों नहीं रखा गया जिन्होंने वर्षों तक यातनाएं सहीं! जब बंगाली क्रांतिकारी इस मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहे थे, तब इन बाहरी लोगों के पुरखे अंग्रेजों की ओर से जमीन पर कब्जा कर रहे थे! मुझे यूपी या गुजरात का एक व्यक्ति दिखाओ जो अंग्रेजों के खिलाफ फांसी पर चढ़ गया हो?

पिछले साल कोलकाता में अमित शाह के रोड शो के दौरान ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा के अपमान का आरोप लगाते हुए बसु ने कहा कि वह “बाहरी लोगों” द्वारा बंगाल और बंगाली संस्कृति पर हमला हुआ था!

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