कांग्रेस बार बार चुनावों में हार का सामना कर रही हैं, लेकिन हार के कारणों का पता लगाकर अच्छा प्रदर्शन करने की बजाए हार का ठीकरा कभी EVM तो कभी कट्टरवादी हिन्दुवों के सर फोड़ देती हैं. अब तो हालत ऐसे हैं की कांग्रेस पार्टी के ही वरिष्ठ नेता अब आवाज़ उठाना शुरू कर चुके हैं और पार्टी को गंभीर तरीके से मंथन करने की सलाह दे रहें हैं.
कुछ दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने सवाल खड़े किये थे और अब उनकी आवाज़ को और बुलंद करते हुए भारत के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने भी कांग्रेस पार्टी की कार्यकारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पी चिदम्बरम नीतिगत ढाँचे की आलोचना करते हुए कहा की कांग्रेस को अब साहसी बनकर अपनी हार के कारणों का खोजना और उसे स्वीकारना होगा. इसके बाद ही हम जीत के लिए आगे की योजना को सफल बना सकते हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की यह प्रतिक्रिया बिहार विधानसभा और मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश उपचुनाव के बाद सामने आयी हैं. जहां न तो कांग्रेस ने प्रचार पर ज्यादा जोर दिया और न ही हार के बाद कांग्रेस ने मंथन करना जरूरी समझा. हार का ठीकरा EVM पर फोड़ते हुए कांग्रेस ने बंगाल में चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी जिसको लेकर अब वरिष्ठ नेता परेशान हो रहें हैं.
पश्चमी बंगाल में लड़ाई तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच में हैं, मुस्लिम वोट काटने के लिए ओवैसी भी चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं. बंगाल के हिन्दुवों की जो स्थिति हैं वह किसी से छुपी नहीं हैं और बीजेपी उन्हें ही इन चुनावों में टारगेट करेगी. ऐसे में बच्चे हुए मुस्लिम वोट तृणमूल कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी में ही ज्यादातर बटेगे.
ऐसे में कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की जमानत भी बचा सके तो बहुत बड़ी बात होगी. इसलिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना हैं की हार के कारणों का पता लगाए बिना एक के बाद एक चुनाव लड़ने से जीत हासिल नहीं होगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जहां एक तरफ कांग्रेस पर सवाल खड़े कर रहें हैं, वहीं गाँधी परिवार के कट्टर समर्थक इन वरिष्ठ नेताओं की आलोचना कर रहें हैं. ऐसे में अगर आने वाले समय में कांग्रेस टूट कर एक अन्य पार्टी को जन्म देती है तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी.