जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दुनिया का एकलौता ऐसा विश्वविद्यालय है जिससे हर साल इतने डिग्री धारक नहीं निकलते होंगे, जितने विवाद निकल कर सामने आते हैं. जब भी कोई एक विवाद ख़त्म होने लगता हैं, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को लेकर दूसरा विवाद शुरू हो जाता हैं.
अभी कुछ दिन पहले ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की एक मूर्ति का अनावरण किया था. अब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और कर्नाटक के पूर्व मंत्री सीटी रवि ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के 50 साल पुरे होने के दौरान इसका नाम बदल कर स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी रखने की मांग केंद्र के सामने रख दी हैं.
इसके पीछे अपनी बात को तर्क देते हुए सीटी रवि ने कहा की देश की युवा पीढ़ी को स्वामी विवेकानंद जैसे संतों-महापुरुषों के जीवन के बारे में जानने और उससे प्रेरणा लेने का मौका मिलेगा. बीजेपी नेता सीटी रवि लिखते हैं की, “वो स्वामी विवेकानंद ही थे, जो भारत की विचारधारा के साथ खड़े हुए. उनका दर्शन और उनके मूल्य भारत की शक्ति को दर्शाते हैं. देश हित में यही सही होगा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय कर दिया जाए. भारत के इस देशभक्त संत का जीवन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा.”
इससे पहले खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वामी विवेकानंद जी मूर्ति का अनावरण करते हुए कहा था की, “हम सब के बीच वैचारिक मतभेद हो सकता है सबकी विचारधाराएं अलग हो सकती हैं. लेकिन राष्ट्रभक्ति के विचार का सभी को समर्तन करना चाहिए और राष्ट्र हित के मामलों में राष्ट्र का विरोध कभी भी नहीं करना चाहिए.”
सीटी रवि के इस बयान के बाद कांग्रेस नेताओं का विरोध आना स्वाभाविक था, लेकिन शिवसेना का विरोध आना यह किसी ने सोचा नहीं होगा. शिवसेना के संजय राउत ने इस मांग को लेकर बीजेपी की कड़ी आलोचना की हैं. संजय राउत ने बीजेपी पर द्वेष की राजनीती करने का आरोप लगाया हैं, हालाँकि संजय राउत की अपनी पार्टी इस वक़्त द्वेष की राजनीती करने के आरोपों से घिरी हुई हैं.