इतिहास की कुछ बातें ऐसी होती हैं जो दिलचस्प होने के साथ साथ हैरान भी कर देती हैं. यह घटनाएं सत्य तो होती हैं लेकिन किसी कारण से मीडिया ऐसी बातों का जिक्र करने से बचती हैं. ऐसी ही एक घटना 1971 हिंदुस्तान और पाकिस्तान युद्ध के ठीक 15 साल बाद हुई.
भारतीय सेना पाकिस्तान के टुकड़े करने के पक्ष में थी, उसने रूस को अपने भरोसे में ले लिया था. आखिरी वक़्त में भारतीय सेना ने अपने पाँव पीछे खींच लिए और भारत, पाकिस्तान के बीच होने वाला सबसे बड़ा युद्ध 1986 में टल गया. जबकि आपको जानकार हैरानी होगी की इस बात की खबर तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को आखिरी वक़्त तक पता नहीं थी.
आपको बता दें की 1986-87 को राजस्थान और पाकिस्तान की सीमा पर भारत के पांच लाख सैनिक इकट्ठा हो चुके थे. इस दौरान इसे युद्ध अभ्यास का नाम दिया गया था, जबकि तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री अरुण सिंह और सेना के जनरल कृष्णस्वामी सुंदरजी का प्लान युद्ध अभ्यास नहीं बल्कि पकिस्तान पर हमले की तैयारी का था.
भारत के हिस्से में आने वाले पंजाब में भी हमले की तैयारी पूरी हो चुकी थी और पाकिस्तान को चार भागों में बांटने का पूरा प्लान तैयार किया जा चूका था. आखिरी वक़्त में अमेरिका को भारतीय सेना की कार्यवाही के प्लान का पता चल गया और उन्होंने राजीव गांधी से इस बारे में बातचीत की.
राजीव गांधी को जब तक इस बात का पता चला हालात बहुत आगे बढ़ चुके थे, उधर पाकिस्तान परमाणु हमले की धमकी दे रहा था. तब राजीव गांधी ने सख्त निर्देश देते हुए युद्ध की सारी तैयारियों पर पानी फेर दिया और किसी प्रकार का हमला न करने के निर्देश जारी कर दिए गए.
सेना जो पूरी तरह से पाकिस्तान के चार टुकड़े करने के लिए तैयार थी, अब वह चाह कर भी अपने देश के प्रधानमंत्री के निर्देश के विरुद्ध जाकर युद्ध का ऐलान नहीं कर सकती थी. इस वजह से राजीव गांधी ने जाने या अनजाने में पकिस्तान को एक जीवनदान दिया और उसके बाद भारतीय सेना को दुबारा ऐसा मौका नहीं मिला.