बिहार में NDA चुनाव जीत चूका हैं और कांग्रेस अपना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. बिहार में पिछले कई दशकों से कांग्रेस का मुख्यमंत्री नहीं बना और पार्टी की हालत पहले से बत्तर होती जा रही हैं. कांग्रेस के केंद्रीय मंत्रियों के दबाव में बिहार के स्थानीय मंत्रियों के सुझावों की कोई वैल्यू नहीं दी जाती, नतीजा बिहार में अब कांग्रेस विधायक ही एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाना शुरू कर चुके हैं.
आपको बता दें की बिहार में इस बार कांग्रेस ने महागठबंधन से 70 सीटों की मांग करते हुए अपने प्रत्याशी उतारे थे. ऐसे में 70 में से मात्र 19 सीटों की जीत के बाद महागठबंधन को बहुमत नहीं मिल पाया. जबकि RJD राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनते हुए 75 सीटें जीतने में कामयाब रही.
बिहार पार्टी महासचिव तारिक अनवर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है की, “हमें सच को स्वीकार करना चाहिए. कांग्रेस के कमज़ोर प्रदर्शन के कारण महागठबंधन की सरकार से बिहार महरूम रह गया. कांग्रेस को इस विषय पर आत्म चिंतन ज़रूर करना चाहिए कि उस से कहां चूक हुई?”
कांग्रेस ने पुरे देश में आज़ादी के बाद से ही मुस्लिम तुष्टिकरण करते हुए चुनाव लड़े हैं. जब तक मुस्लिम मतदाताओं का आंकड़ा कम होता है कांग्रेस और उसके साथी दल जीत भी हासिल करते हैं. परन्तु जैसे ही मुस्लिम मतदाताओं का संख्याबल ज्यादा होता है, वह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को अपना वोट डालना सही समझते हैं.
यही हुआ बिहार के 5 विधानसभा सीटों पर, इसको लेकर भी कांग्रेस के तारीक अनवर ने कहा की, “एआईएमआईएम का बिहार में प्रवेश शुभ संकेत नहीं है. बिहार चुनाव में भले ही बीजेपी गठबंधन येन केन प्रकारेण चुनाव जीत गया, परन्तु सही में देखा जाए तो बिहार चुनाव हार गया. इस बार बिहार परिवर्तन चाहता था और पांच वर्षों की निकम्मी सरकार से छुटकारा और बदहाली से निजात चाहता था.”
NDA के कई विधायक ऐसे थे जो चुनाव से पहले पार्टी बदल कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे. ऐसे में अब हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कांग्रेस के उन नवनिर्वाचित विधायकों वापिस JDU या बीजेपी में शामिल होने का न्योता दिया हैं. अब देखना यह होगा की क्या यह विधायक विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे या फिर पार्टी बदलकर सरकार में बैठना पसंद करेंगे.