इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक आत्महत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब समेत बाकी उन दो कंपनियों के मालिकों को भी बेल दे दी हैं जिन्होंने अन्वय नाइक की कंपनी के पैसे चुकता नहीं किये थे. सुप्रीम कोर्ट ने 50000 के निजी मुचलके पर अर्नब गोस्वामी को जमानत देने का आर्डर पास किया हैं.
हरीश साल्वे ने कहा की, अन्वय नाइक का मामला कोर्ट द्वारा बंद किया गया था. ऐसे में पुलिस को कोई अधिकार नहीं था की वह कोर्ट में बिना किसी नए सबूत और तथ्य के केस अपने आप खोल दे. हरीश साल्वे ने कहा कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार शुरुआत में जितना भुगतान किया जाना था वह किया गया था, बाकी का भुगतान एक साल बाद होना था और यह कॉन्ट्रैक्ट में साफ़ तौर पर लिखा था.
हरीश साल्वे ने कहा की अन्वय नाइक की कंपनी उसकी आत्महत्या किये जाने पहले 7 साल से घाटे में थी. हरीश साल्वे ने कहा की महाराष्ट्र की पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को 4 नवंबर को गिरफ्तार किया था, ऐसे में लोकल मजिस्ट्रेट को दी गयी जमानत याचिका इस आधार पर स्वीकार करनी चाहिए थी की, पुलिस के पास केस को रीओपन करने का अधिकार नहीं हैं. फिर भी उन्होंने किसी कारण से जमानत देने से इंकार दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की कड़ी निंदा करते हुए कहा की आपने अर्नब गोस्वामी की पुलिस कस्टडी को 60 पेजों के फैसले के साथ बरकरार रखा. जबकि आपने कहीं पर भी इस बात का जिक्र नहीं किया की अपने इस पुलिस कस्टडी को किस केस, अपराध या आधार पर बरकरार रखा हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की, अगर सरकार और पुलिस न्याय के साथ खिलवाड़ करती हैं तो अदालतों का काम है नागरिकों की निजी सुरक्षा की रखवाली करना. आज हमने अगर कोई फैसला न दिया तो यह देश के लिए बहुत खतरनाक बात होगी. अदालतें लोकतंत्र और संविधान के हिसाब से चलती हैं, सरकारों के दबाव में नहीं, हमें यह नहीं भूलना चाहिए. अगर आपको अर्नब की पत्रकारिता पसंद नहीं है तो आप चैनल बदल सकते हैं, लेकिन उसे इस बात के लिए जेल में नहीं डाल सकते.
मुंबई पुलिस को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा की, आप मामले की जांच करना चाहते है तो आप करिये कोई नहीं रोक रहा लेकिन कानून का पालन तो करिये. इस मामले में जिस तरह से गिरफ्तारी हुई है, यह बिलकुल उचित नहीं थी. अर्नब अगर जांच में असहयोग करे या फिर वह आरोपी साबित हो चूका हो तो आप उसे गिरफ्तार कर सकते हैं.