मीडिया ने यह खबर भले ही न दिखाई हो लेकिन आपको बता दें की पांच महीने पहले ऑस्ट्रेलिया से चीन जा रहे कोयले के साथ एक चीनी बंदरगाह पर भारतीय पोत के नौवहन दल के 23 सदस्यों टीम फसी हुई हैं. यह टीम “जग आनंद” नामक पोत में फसी हुई है जो की जून में एक चीनी बंदरगाह पर पहुंची थी.
लेकिन महामारी के चलते उन्हें कोयला उतारने की इजाजत नहीं मिली और न ही पोत से बाहर आने की इजाजत मिली. ऐसे में चीन के जिंगतांग बंदरगाह पर फसी हुई इस पोत के 23 सदस्यों की टीम ने तत्काल मदद की गुहार लगाई हैं. उनका कहना हैं की हम जून के महीने से इस पोत में हैं.
इसके गुहार के बाद भारतीय राष्ट्रीय नाविक संघ, अंतरराष्ट्रीय परिवहन श्रमजीवी संघ (आईटीएफ) और अंतरराष्ट्रीय सामुद्रिक संघ सामने आया और उन्होंने भारतीय सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की. भारतीय ITF द्वारा इस मांग को देखते हुए चीन भी हरकत में आ चूका हैं और जल्द ही उन सभी नावकों को मदद पहुँचाने का आश्वासन दिया हैं.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहां की, “बंदरगाहों पर संक्रमण को फैलने से रोकने तथा दल के सदस्यों के पृथक-वास के लिए चीन के नियम स्पष्ट है और इन नियमों के अनुसार हम दल के सदस्यों को सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं. किसी विशेष जानकारी के लिए आपको संबंधित चीनी अधिकारियों या स्थानीय सरकार से संपर्क करना चाहिए.”
चीन में मजूद दूतावास के अधिकारीयों ने भी मीडिया को ब्यान देते हुए कहां की, “हेबेई सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि पोत ‘बर्थिंग’ के लिए कतार में है और कोविड-19 महामारी से संबंधित कड़े नियमों के चलते नौवहन दल के सदस्यों को बदला नहीं जा सकता. जरूरत पड़ने पर वह दल के सदस्यों को किसी भी प्रकार की चिकित्सा सहायता उपलब्ध करा सकते हैं.”
इसके साथ ही एक राहत भरी खबर देते हुए भारतीय दूतावास ने कहां की, “पोत चाहे तो वहां से जा सकता है. हेबेई प्रांत की सरकार की प्रतिक्रिया से पोत परिवहन कंपनी को अवगत करा दिया गया है.” भारत पहले ही लद्दाख और हिन्द महासागर में डटकर खड़ा हुआ हैं, ऐसे में चीन किसी प्रकार कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं नज़र आ रहा.