Gupkar Declaration को गैंग कहे जाने पर फारुक अब्दुल्ला बहुत ज्यादा भड़क चुके हैं. धारा 370 के न हटने तक चुनाव न लड़ने का ऐलान कर चुके राजनेता अब फिर से चुनाव में उतरने की बात कर रहे हैं. हालाँकि उनका कहना है की, हम सबका चुनाव चिन्ह एक नहीं हो सकता इसलिए हम Gupkar Declaration में सभी पार्टियों की सहमति से संयुक्त उम्मीदवार उतारेंगे.
Gupkar Declaration को आसान भाषा समझने के लिए आप BJP की NDA और Congress की UPA का उदाहरण लेकर समझ सकते हैं. हालाँकि यह Gupkar Declaration केवल जम्मू कश्मीर की सभी पार्टियों को एक मंच पर लाने के लिए बनाया गया हैं. कांग्रेस फिलहाल इस Gupkar Declaration का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन बिहार चुनाव के बाद वह इसका हिस्सा बन सकती हैं और बंगाल में मुस्लिम वोटों को लुभाने का प्रयास कर सकती हैं.
Gupkar Declaration को गैंग कहे जाने पर फारुख अब्दुल्लाह ने एक बयान देते हुए कहा की, “हम गैंग नहीं हैं बल्कि हम पार्टियों का गठबंधन कर रहे हैं. जो हमें गैंग कह रहे हैं दरअसल वे बड़े डकैत हैं, यही कारण है कि उन्हें हर कोई गैंग दिखता है. हम साथ चुनाव लड़ेंगे, लेकिन हमारा चुनाव चिह्न एक नहीं हो सकता, इसलिए हम अपने-अपने चुनाव चिह्न के साथ संयुक्त उम्मीदवार उतारेंगे.”
फारुख अब्दुल्लाह ने कहा की हम साफ़ कर देना चाहते हैं की हमारी लड़ाई भारत से नहीं बल्कि बीजेपी से हैं. बीजेपी देश में हर धर्म के लोगों को आपस में लड़वाना चाहती हैं और हम महात्मा गाँधी की निति में विश्वास रखते हैं. लेकिन फारुख अब्दुल्लाह भूल गए की महात्मा गाँधी ने कभी हथियार उठाने के लिए लोगों को प्रेरित नहीं किया था, जो इस वक़्त महबूबा मुफ़्ती जम्मू कश्मीर में कर रहीं हैं.
आपको बता दें की Gupkar Declaration का मकसद जम्मू कश्मीर में 370 और 35A को वापिस लागु करवाना हैं. यह अपने इसी मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ेंगे और अगर यह चुनाव जीत जाते हैं और केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार आ जाती हैं तो इसमें कोई शक नहीं की जम्मू कश्मीर में एक बार फिर से आपको 370 और 35A देखने को मिले. क्योंकि कांग्रेस नेता भी 370 और 35A के पक्ष में जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ अपनी सहमति जता चुके हैं.