जम्मू कश्मीर से जब से भारतीय सरकार ने धारा 370 और 35A को हटाया हैं. तब से ही जम्मू कश्मीर के स्थानीय नेता और कांग्रेस के नेताओं अपनी राजनीती का अंत नज़र आना शुरू हो गया हैं. ऐसे में अपने बच्चों को जहां यह लोग विदेशों में पढ़ने के लिए भेजते हैं, वहीं आम जनता के बच्चों को हथियार उठाने की सलाह देना शुरू कर चुके हैं.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया महबूबा मुफ़्ती एक बार फिर से जांच एजेंसियों और न्यूज़ मीडिया के लिए सरदर्दी बन गयी. क्योंकि उन्होंने जम्मू कश्मीर के युवाओं को आतंकवाद के रस्ते पर चलने की सलाह दे डाली हैं. जम्मू कश्मीर में इन नेताओं के घर राजनीति से कम और राज्य में आतंक के बढ़ने से ज्यादा चलते थे, जो की अब बंद हो चुके हैं.
आतंक के नाम पर यह नेता पिछले लगभग 70 साल से भारतीय सरकार से मोटी धनराशि लेते रहे हैं. केंद्रीय सरकार की कई योजनाओं के नाम पर भी यह मोटी धनराशि वसूलते थे. अब क्योंकि धारा 370 लागु थी तो यह भारतीय सरकार या उसके नागरिक को पैसे का हिसाब देने के लिए मजबूर नहीं थे.
अब ऐसा नहीं हो सकता नतीजा यह नेता जम्मू कश्मीर में फिर से आतंक को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. ऐसे में महबूबा कहती हैं की, “जब राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया और अनुच्छेद 370 हटा कर इसे बाँटा गया है, तब से घाटी में आतंकवाद बढ़ा है. उनके कार्यकाल में आतंकवाद काफी बढ़ा है, हर गाँव से लगभग 10 से 15 युवा एक साथ हथियार उठा कर आतंकवाद की राह स्वीकार कर रहे हैं.”
महबूबा मुफ़्ती आगे कहती हैं की, “क्योंकि आपने आम लोगों की आवाज़ दबाई है, लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है. यहाँ के युवा सोच रहे हैं कि या तो वह जेल जा सकते हैं या फिर वो हथियार उठा सकते हैं. ऐसे में वह सोचता है कि मरने से बेहतर यही होगा कि वह हथियार उठा ले. लोगों को अपनी बात रखने का मौक़ा नहीं दिया जा रहा है, इसलिए ऐसा हो रहा है.”