अमेरिका में ट्रंप चुनाव हार चुके हैं और वह इस हार को मानने को तैयार नहीं हैं. ट्रंप 2021 जनवरी तक राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालेंगे इसके इलावा उन्होंने कई राज्यों में वोटिंग को लेकर हुई धान्द्ली का मुद्दा उठाया हैं. ऐसे में अमेरिका में यह नियम है की, अगर कोई उम्मीदवार इस तरह का आरोप लगाकर वोटिंग की गिनती दुबारा करवाता है या फिर दुबारा वोटिंग ही करवाता है तो उस चुनाव या गिनती का सारा खर्च वही कैंडिडेट उठाता हैं.
ट्रंप एक बिज़नेसमैन हैं और उनके पास पैसे की कोई कमी नहीं हैं. ऐसे में उनको इंतजार है तो बस अमेरिका के सुप्रीम का फैसला आने का, इसके इलावा वह अपने कार्यकाल के दौरान ईरान पर और कड़े प्रतिबंध लगाने की योजना पर भी विचार कर रहें हैं. इस्लामिक रिपब्लिक के तेल और वित्तीय क्षेत्रों को लक्षित करने के बाद 20 जनवरी 2021 तक ईरान, इजरायल और कई खाड़ी राज्यों के साथ समन्वय में नए और कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी में हैं.
ऐसे में यह कहना मुश्किल नहीं होगा की यह प्रतिबंध जो बाइडेन के आते ही हटाए जा सकते हैं. लेकिन इसमें भी अमेरिका पहले अपने देश का फायदा देखेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि तेल और आतंकवाद के नाम पर अमेरिका ने इस्लामिक मुल्कों में जबरदस्त तबाही मचाई हैं और यह उस दौरान हुआ जब जो बाइडेन की पार्टी की सरकार थी न की ट्रंप कि पार्टी की.
अगर बात करें तो ट्रंप कि तो वो शायद अपनी हार का ठिकरा ईरान पर फोड़ने कि कोशिश में हैं. ऐसा इस लिए क्योंकि अमेरिका ने चुनावों से ठीक पहले ईरान के पांच संस्थानों पर प्रतिबंध लगाते हुए आरोप लगाया था की यह संस्थान ईरान के चुनाव प्रभावित करने का प्रयास कर रहें हैं.
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अभी तक जो बाइडेन के राष्ट्रपति चुने जाने को लेकर बधाई नहीं दी. उनका कहना है की चुनावी रेस अभी ख़त्म नहीं हुई, जब तक कोर्ट से तस्वीर साफ़ नहीं हो जाती मैं जल्दबाजी में किसी को बधाई नहीं दूंगा. उधर जो बाइडेन के समर्थक पुतिन की इस बात को लेकर ट्रंप को रुसी पपेट बुला रहे हैं.