मध्य प्रदेश में हुई उपचुनाव के बाद बीजेपी राज्य में अपनी स्थिति बरकरार रखना चाहती हैं. पहले से ज्यादा मजबूत होने के लिए बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को नई जिम्मेदारी भी सौंपी हैं. अगर सीटें कम या फिर जीत का अंतर मामूली होता है तो बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया के द्वारा कांग्रेस के और विधायक तोड़ने का प्रयास कर सकती हैं.
जिससे बीजेपी राज्य में मजबूती से और बिना की समस्या के अगले विधानसभा चुनाव तक सरकार चला सके. सूत्रों की माने तो लगभग 20 कांग्रेस के विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के संपर्क में हैं, ऐसे में अगर जीत के लिए बीजेपी 10-15 सीटों की भी जरूरत हुई तो वह अन्य विधायक तोड़ने के लिए पहले से ही तैयार हैं. वहीं अगर जीत का अंतर मामूली हुआ तो सरकार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भी बीजेपी यह कदम उठा सकती हैं.
बिहार में जहां कांग्रेस को एग्ज़िट पॉल में जीत मिलती रही हैं, वहां कांग्रेस और उसका महागठबंधन एग्ज़िट पॉल को सही बता रहा हैं. मध्य प्रदेश में क्योंकि एग्ज़िट पॉल में कांग्रेस की हार तय बताई जा रही हैं, वहां कांग्रेस इस एग्ज़िट पॉल को मानने को तैयार नहीं हैं. इस लिए कांग्रेस भी अपने सभी विधायकों के लगातार संपर्क में बनी हुई हैं.
कांग्रेस भी सरकार बनाना चाहती हैं लेकिन बीजेपी के विधायक तोडना उसके लिए टेढ़ी खीर साबित होगा. बात करें उपचुनाव की तो मध्यप्रदेश में लोगों कांग्रेस को 20 साल बाद किसान के क़र्ज़ माफ़ के वादे के साथ मौका दिया था. कांग्रेस इस मौके को भुना नहीं पाई और नतीजा लोकसभा चुनाव में देखने को मिला.
उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बीजेपी में शामिल हो गए और राज्य में एक बार फिर बीजेपी की सत्ता आ गयी. मध्यप्रदेश के चुनाव में बीजेपी ने एकजुट होने का ऐसा प्रदर्शन किया जिसको कांग्रेस कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी. बीजेपी ने सिंधिया को पर्दे के पीछे जिम्मेदारी सौंपी थी न की पोस्टर बॉय बनाया. बीजेपी ने शिवराज सिंह के चेहरे के साथ चुनाव लड़ा और वही कांग्रेस में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ का विवाद कौन नहीं जानता. ऐसे में यह कहना मुश्किल नहीं हैं की बीजेपी किसी भी हाल में सत्ता छोड़ने नहीं वाली चाहे उसे कांग्रेस के अन्य कितने भी विधायक अपने पाले में लाने पड़े.