महामारी के बाद दुनिया भर की सरकारों समेत भारतीय सरकार को भी लॉकडाउन लगाना पड़ा. इसका सबसे बुरा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा, जिसमे न तो कोई वाहन बिका और न ही सर्विस टैक्स के जरिये ज्यादा कुछ कलेक्शन हुआ. धीरे-धीरे अनलॉक करने की प्रक्रिया को शुरू किया गया, जिसके अच्छे परिणाम हमें अब देखने को मिल रहें हैं.
अनलॉक 5 के साथ ही गुड्स एंड सर्विस टैक्स कलेक्शन से लेकर यूपीआई ट्रांजेक्शन में हुई जबरदस्त बढ़ोतरी और वाहनों की बिक्री से लेकर विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था को फिर एक बार मजबूत करने को कदम बढ़ा रहें हैं. कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है की इस वक़्त त्योहारों का सीजन हैं, इसलिए यह पूरी तेज़ी अस्थाई भी हो सकती हैं.
त्योहारों के सीजन में लोग ना चाहते हुए भी सामान खरीदने के लिए मजबूर होते हैं. ऐसे में इस तेज़ी के साथ आपको यह नहीं समझना चाहिए की अर्थव्यवस्था वापिस पटरी पर आ चुकी हैं. फरवरी 2020 में GST कलेक्शन 1 लाख करोड़ रूपए का था, जो लॉकडाउन के बाद लगातार गिरता ही चला गया. फिर October में यह जाकर वापिस एक बार 1 लाख करोड़ के पार देखने को मिला हैं.
कोरोना काल में लोगों ने UPI Transaction का खूब इस्तेमाल किया और एक नया रिकॉर्ड भी कायम किया. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने आंकड़े जारी करते हुए बताया है की October 2020 में देश के लोगों ने 200 करोड़ रूपए से भी ऊपर के Transactions किये हैं. जब से UPI System भारत में आया हैं, लोगों ने इस Payment System के माध्यम से लगभग 3.3 लाख करोड़ के UPI Transactions को पूरा किया हैं.
देश के विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें तो यह अब तक के सबसे ज्यादा ऊंचाई पर पहुँच चूका हैं. RBI के मुताबिक़ 23 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 5.412 अरब डॉलर से बढ़कर 560.532 अरब डॉलर पहुँच गया हैं. रिजर्व बैंक का स्वर्ण भंडार भी इस समीक्षावधि में 17.5 करोड़ डॉलर बढ़कर कुल 36.86 अरब डॉलर का हो चूका है और IMF के पास जमा देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 2.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.66 अरब डॉलर हो चूका हैं.