दुनिया भर में फैली महामारी के चलते भारत में 23 मार्च को लॉकडाउन लगा दिया गया था. इस लॉकडाउन का प्रभाव हमें राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी पर भी देखने को मिला. जिस वजह से 23 मार्च के बाद का यह पहला प्रक्षेपण है जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार शाम को किया हैं.
इस प्रक्षेपण में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C49 प्रक्षेपण यान से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (EOS-01) के साथ साथ 9 अंतर्राष्ट्रीय उपग्रहों सफलतापूर्वक पृथ्वी से बाहर भेज दिया गया. बताया जा रहा है की यह लॉन्च 26 घंटे की उलटी गिनती के बाद दोपहर 3.12 बजे हुआ था.
इससे ठीक कुछ मिनट पहले ISRO को जानकारी मिली थी की अंतरिक्ष में उड़ान मार्ग के बीच मलबे से यान की टक्कर हो सकती हैं, इसलिए उस मलबे के हटने का इंतजार किया गया और यह लॉन्च निर्धारित समय से 10 मिनट की देरी से लॉन्च हुआ. जैसा की आप सब जानते होंगे ISRO ने पिछले कुछ सालों में दुनिया भर के सेटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचा कर मोटा मुनाफा कमाया हैं.
इस बार भी ISRO ने अपने EOS-01 कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन सहायता में इस्तेमाल होने वाले एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह के साथ-साथ लिथुआनिया के एक, लक्समबर्ग और संयुक्त राज्य अमेरिका के चार सैटेलाइट को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किया.
दूसरे देशों के मुकाबले में भारत की स्पेस एजेंसी ISRO कम पैसों में सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पंहुचा देती हैं. इसके इलावा ISRO द्वारा सुरक्षित लॉन्च करने ट्रैक रिकॉर्ड भी दूसरे देशों के मुकाबले काफी अच्छा हैं. इसलिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर देशों की पहली पसंद ISRO ही है जो सस्ते और सुरक्षित तरीके से उनके देश का सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर देती हैं.
इस लॉन्च के बाद ISRO ने दुपहर 3 बजकर 28 मिनट पर एक ट्वीट करते हुए लिखा की, “पीएसएलवी के चौथे चरण (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल – भारत के कार्यक्रम का वर्कहॉर्स जिसने अब अपना 51 वां लॉन्च पूरा कर लिया है) के चौथे चरण से उपग्रह सफलतापूर्वक अलग हो गया और इसे ग्रह के चारों ओर कक्षा में इंजेक्ट किया गया.”