बिहार का चुनाव अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर चूका हैं और अब यह चुनाव बिहार के उस हिस्से में होने वाले हैं जहां प्रवासी और अल्पसंख्यों की जनसँख्या ज्यादा हैं. ऐसे में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी अपनी पूरी ताकत बिहार के इस हिस्से में झोंकना चाहते हैं.
लेकिन एक राजनेता और संविधान की मर्यादा को भूलते हुए ओवैसी ने ऐसा बयान दिया जिससे केवल और केवल समाज में नफरत ही बढ़ेगी. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा की, “असदुद्दीन ओवैसी बिहार का तो नहीं है, मगर ये पूरा भारत असदुद्ददीन ओवैसी के बाप की मिल्कियत है.”
ओवैसी ने आगे कहा की, “कैसे है? हमारे अब्बा, आपके अब्बा, उनके अब्बा, उनके अब्बा के अब्बा जब दुनिया में कदम रखे, तो भारत में रखे थे कदम. तो ये हमारे अब्बा की जमीन हुई और किसी माई के लाल में ताकत नहीं है कि हमको हमारी अब्बा की जमीन पर घुसपैठी करार दे. ये अब्बा की जमीन है और अब्बा की जायदाद में बेटी और बेटे का हिस्सा मिलेगा. अब ये लड़ाई हिस्सेदारी की लड़ाई है.”
असदुद्दीन ओवैसी पर पहले भी इस बात के आरोप लगते रहे हैं की वह आज़ाद भारत के जिन्ना बनने का सपना देखते हैं. इस बयान के बाद ऐसे आरोप सच भी लगते हैं, एक तरफ जहां मुसलमान यह कहते नहीं थकते की हिन्दुस्तान किसी के बाप का थोड़ी न हैं. वहीं दूसरी तरफ ओवैसी दावा कर रहें हैं की, हिन्दुस्तान हमारे बाप हैं और लड़ाई हिस्सेदारी की हैं.
ऐसे में सवाल यह भी उठता है की, 1947 में धर्म के आधार पर किस समुदाय ने हिस्सा लिया था? ऐसा किस तरह के परिवार में होता है की एक बेटा अपना हिस्सा लेने के बाद दुबारा अपने पिता से जायदाद में हिस्सा लेने की मांग करे? गौरतलब है की यह बयान एक मुस्लिम नेता द्वारा दिया गया था इसलिए न तो इस बयान की निंदा संविधान के तथाकथित रक्षकों ने की, न मीडिया ने, न ही किसी दूसरे विपक्षी दल ने की.
आपको बता दें की AIMIM उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, बसपा एवं कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर ‘ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर अलांयस’ (GDSF) का गठन किया हैं. अगर यह गठबंधन बिहार में चुनाव जीतता है तो मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा बैठेंगे, हालाँकि चुनावी एग्जिट पोल में यह गठबंधन कुल मिलाकर 10 सीटें भी जीतता नहीं दिख रहा.