अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी एक हाई प्रोफाइल केस था. इसके लिए पुलिस टीम को एक ऐसे बन्दे की तलाश थी जो इस काम को अच्छे से पूरा कर सके. इसलिए उन्होंने 40 सदस्य टीम की कमान मुंबई के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे को सौंप दी. आपको जानकार हैरानी होगी की एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे के खिलाफ कई फ़र्ज़ी एनकाउंटर करने के भी आरोप लग चुके हैं.
फ़र्ज़ी एनकाउंटर के आरोपों के चलते सचिन ने पुलिस डिपार्टमेंट से लगभग 13 साल पहले अपना अस्तीफा दे दिया था. सूत्रों की माने तो शिवसेना सरकार ने अर्णब गोस्वामी केस को हैंडल करने के लिए उन्हें 6 जून, 2020 को वापिस पुलिस डिपार्टमेंट में बुलाया गया है. सचिन वझे ने 1990 में पहली बार पुलिस फाॅर्स को ज्वाइन किया था और मुंबई में 63 एनकाउंटर करते हुए खूब नाम कमाया था.
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा के नीचे काम करते हुए इन्होने छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम के कई लड़कों को मौत के घाट उतारा था. फिर 2002 घाटकोपर ब्लास्ट के आरोपी ख्वाजा यूनिस के कस्टोडियल डेथ के आरोप के चलते 2004 में इनके साथ 14 साथियों को पुलिस डिपार्टमेंट ने सस्पेंड कर दिया था.
जिसके बाद उन्होंने 2007 में पुलिस डिपार्टमेंट से अस्तीफा दे दिया और 2008 में शिवसेना पार्टी को ज्वाइन कर लिया. जी हाँ फ़र्ज़ी एनकाउंटर और कस्टोडियल डेथ के आरोपी सचिन वझे शिवसेना से जुड़े हुए हैं. ऐसे में शिवसेना की सरकार बनते ही उनकी पुलिस डिपार्टमेंट में वापसी होना, उनके ऊपर चल रहे पुराने मामलों का रफा दफा होना. अपने आप में यह बताता है की शिवसेना सरकार महाराष्ट्र में कैसे अपनी मनमानी से सरकार चला रही हैं.
सोशल मीडिया पर यह भी सवाल उठाया गया है की अर्णब गोस्वामी कोई पहला हाई प्रोफाइल व्यक्ति नहीं था जिसे मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया हैं. सचिन वझे के 2007 में अस्तीफा दिए जाने के बाद मुंबई पुलिस ने कई ऐसे हाई प्रोफाइल लोगों को गिरफ्तार किया हैं, जिनपर गंभीर मामले दर्ज़ थे. ऐसे में शिवसेना ने अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार करने लिए ऐसे इंसान कोई पुलिस में दुबारा भर्ती क्यों करवाया जिसपर फ़र्ज़ी एनकाउंटर और कस्टोडियल डेथ का आरोप हो?